72 बार देश को ‘मन की बात’ बता चुके हैं पीएम मोदी। मन की बात देखने वाले दर्शकों की संख्या में आश्चर्यजनक तरीक़े से कमी आती गयी है। अब इस कार्यक्रम को नापसंद करने वालों की तादाद हर उस प्लेटफ़ॉर्म पर बढ़ती चली गयी है जहाँ इसका स्ट्रीम लाइन प्रसारण होता है।
गुजरात में भी ‘मन की बात’ से निराशा!
गुजरात में सरकारी डीडी न्यूज़ के यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीम होकर पहुँचे ‘मन की बात’ में दर्शकों की संख्या हैरान करने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थकों के लिए तो बेहद निराश करने वाली है यह तादाद। यहाँ महज 386 दर्शक पहुँचे। इनमें से भी सिर्फ़ 9 को यह कार्यक्रम पसंद आया, जबकि 16 दर्शकों ने इसे नापसंद किया।
इंडिया टीवी जैसे मशहूर न्यूज़ चैनल के यूट्यूब चैनल पर महज 1005 लोगों ने 28 फ़रवरी को ‘मन की बात’ कार्यक्रम देखा। इनमें से महज 4 लोगों ने इस कार्यक्रम को पसंद किया। वहीं नापसंद करने वालों की संख्या 10 गुणा ज़्यादा यानी 40 रही।
अंग्रेजी भाषा के टीवी चैनल टाइम्स नाऊ के यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीम पर भी महज 3,350 दर्शक ‘मन की बात’ देखने आए। यहाँ भी कार्यक्रम को पसंद करने वालों की तुलना में 10 गुणा से ज़्यादा उसे नापसंद करने वाले रहे। (तालिका देखें)
जी न्यूज़ के यूट्यूब चैनल पर मन की बात को पसंद करने वालों की संख्या ज़रूर इसे नापसंद करने वालों से ज़्यादा रही। यहाँ 1.18 लाख दर्शक आए। इनमें से 4.1 हजार दर्शकों को यह कार्यक्रम पसंद आया जबकि 3 हज़ार दर्शकों ने इसे नापसंद किया।
छिपाने लगे लाइक-डिसलाइक
नरेंद्र मोदी और उनकी टीम अपने यूट्यूब प्लेटफॉर्म पर लाइक-डिसलाइक को छिपाने लगे हैं। आश्चर्य की बात है कि यही काम न्यूज़ चैनल भी करते दिख रहे हैं और पीएमओ भी।
दरअसल, बीते 8 महीने से डिसलाइक का ट्रेंड मज़बूत हुआ है जिसने नरेंद्र मोदी समर्थकों और उनकी पार्टी बीजेपी को बेचैन कर दिया है।
बीजेपी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर 1 लाख से ज़्यादा दर्शकों ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम को देखा। पसंद-नापसंद के आँकड़े छिपा लिए जाने के कारण सामने नहीं आ सके हैं। मगर, दर्शकों की संख्या का महज 1 लाख तक आ सिमटना पूरी कहानी बयां कर देता है। इस प्लेटफ़ॉर्म के 36 लाख सब्सक्राइबर हैं। दो महीने पहले के आँकड़े भी लें तो इसी प्लेटफ़ॉर्म पर इसी कार्यक्रम को देखने के लिए दिसंबर 2020 में 3 लाख से अधिक दर्शक मौजूद थे।
पीएमओ इंडिया भी लाइक-डिसलाइक छिपाने के रास्ते पर चलता नज़र आता है। यहाँ दर्शकों की तादाद 45,933 ज़रूर है लेकिन पिछले साल अगस्त महीने में इसी प्लेटफॉर्म पर इसी कार्यक्रम के लिए दर्शकों की संख्या 19 लाख थी।
नरेंद्र मोदी नामक यूट्यूब चैनल पर लाइक-डिसलाइक नहीं छिपाए गये हैं। यहाँ 3,04,565 दर्शक आए। 13 हज़ार दर्शकों ने मन की बात को पसंद किया, जबकि 20 हजार दर्शकों ने नापसंद किया। ग़ौरतलब है कि इस प्लेटफॉर्म पर 84 लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर हैं।
क्या बढ़ रही है निराशा?
विभिन्न चैनलों पर ‘मन की बात’ के दर्शकों और इसे पसंद-नापसंद करने वालों की संख्या पर ग़ौर करें तो इस कार्यक्रम को नापसंद करने वाले 3 गुणा से लेकर 8-9 गुणा तक अधिक नज़र आते हैं। देश को संबोधित कर अपनी बात पहुँचाने का उनका मक़सद निश्चित रूप से लोगों में उत्साह भरने का रहा होगा। मगर, ऐसा लगता है कि लोगों में निराशा और ग़ुस्सा बढ़ता जा रहा है।
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आजतक पर ‘मन की बात’ देखने 1,79,691 दर्शक आए। मगर, यहाँ भी इस कार्यक्रम को नापसंद करने वालों की संख्या इसे पसंद करने वालों के मुक़ाबले लगभग तिगुनी दिखी। इंडिया टुडे पर 81 हज़ार से ज़्यादा दर्शक यह कार्यक्रम देखने आए। इनमें महज 772 लोगों को यह पसंद आया जबकि नहीं पसंद करने वालों की संख्या 12 हजार से ज़्यादा रही। एबीपी पर 33 हज़ार से ज़्यादा दर्शकों में 460 लोग इसे पसंद करने वाले तो 2.9 हजार लोग नापसंद करने वाले रहे। एबीपी गंगा पर 82 हजार से ज़्यादा दर्शकों में 844 ने इस कार्यक्रम को पसंद किया, तो 2.7 हजार दर्शकों ने नापसंद। राज्यसभा टीवी पर भी ‘मन की बात’ को पसंद-नापसंद करने वालों में 8 गुणा से ज़्यादा का फर्क देखा गया।
पीआईबी इंडिया और न्यूज़ ऑन एआईआर ऑफिशियल जैसे प्लेटफ़ॉर्म के यू-ट्यूब पर भी प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को पसंद-नापसंद करने वालों के आँकड़े में तीन गुणे का परेशान करने वाला फर्क दिखा।
शानदार आगाज करते हुए जिस ‘मन की बात’ ने रेडियो तक को ज़िन्दा कर दिया था, जो दुनिया का सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम बन चुका था और जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए जनता से सीधा संवाद करने का सबसे सशक्त माध्यम था, वही माध्यम अब बैकफायर होकर प्रधानमंत्री मोदी की चिंता बढ़ाने लगा है। बीजेपी के बाद पीएमओ का लाइक-डिसलाइक छिपाना इसका प्रमाण है।
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