प्रधानमंत्री मोदी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रद्द किए जाने के फ़ैसले को सही नहीं माना है। उन्होंने कहा है कि जब लोग इसके बारे में ईमानदारी से सोचेंगे तो वे पछताएँगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाचार एजेंसी एएनआई से विशेष साक्षात्कार में कहा कि फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉन्ड को खत्म करना एक ऐसा फै़सला है, 'जब ईमानदारी से विचार किया जाएगा तो हर किसी को पछतावा होगा' और जिसने 'देश को पूरी तरह से काले धन की ओर धकेल दिया है'। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई चुनावी बॉन्ड योजना चुनाव अभियानों में आपराधिक गतिविधियों से बेहिसाब नकदी या धन और 'काले धन' के उपयोग से लड़ने के लिए थी। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कभी दावा नहीं किया कि यह उस लक्ष्य को पाने का एकमात्र तरीका था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 'इलेक्टोरल बॉन्ड थे तो आपको पैसे का ट्रेल मिल रहा है, किस कंपनी ने दिया, कैसे दिया, कहां दिया। इसलिए मैं कहता हूं सब लोग पछताएंगे। ईमानदारी से सोचेंगे तो सब लोग पछताएंगे।'
मोदी ने कहा कि विपक्ष ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर झूठ फैलाया और उनकी सरकार ने चुनाव के दौरान 'काले धन' के उपयोग को कम करने के लिए योजना शुरू की थी। उन्होंने इस बात का खंडन किया कि उनकी भारतीय जनता पार्टी हजारों करोड़ रुपये की एकमात्र सबसे बड़ी लाभार्थी थी। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष को संयुक्त रूप से कुल राशि का लगभग दो-तिहाई हिस्सा मिला।
पीएम ने कहा, 'हमारे देश में लंबे समय से चर्चा चल रही है कि काले धन से चुनाव के दौरान खतरनाक खेल होता है। चुनाव में पैसा खर्च होता है। इससे कोई इनकार नहीं करता। मेरी पार्टी भी सब कुछ खर्च करती है। पार्टियाँ और सभी उम्मीदवार खर्च करते हैं, और यह पैसा लोगों से लिया जाता है। मैं कुछ प्रयास करना चाहता था हमारे चुनाव इस काले धन से कैसे मुक्त हो सकते हैं? लोगों के चंदा देने में पारदर्शिता कैसे हो सकती है?'
बता दें कि बीजेपी सरकार द्वारा लाए गए इस इलेक्टोरल बॉन्ड पर सरकार को छोड़कर सबको कभी न कभी आपत्ति रही। 2019 में चुनाव आयोग ने भी कड़ी आपत्ति की थी। सुप्रीम कोर्ट में जब मामला गया तो इसने भी लगातार सवाल पूछे। विपक्षी पार्टियाँ गड़बड़ी का आरोप लगाती रहीं। चुनाव सुधार से जुड़े लोग इसको पीछे ले जाने वाला क़दम बताते रहे।
इलेक्टोरल बॉन्ड आने के बाद इस पर सबसे ज़्यादा सवाल पारदर्शिता और कालेधन को लेकर ही हुआ। एडीआर जैसी इलेक्शन-वाच संस्थाओं और इस विषय के जानकार लोगों ने इस प्रावधान की शुचिता और उपयोगिता पर गंभीर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे।
भारत की जन प्रतिनिधि क़ानून की धारा 29 सी के अनुसार, 20,000 रुपये से ज़्यादा चंदे की जानकारी चुनाव आयोग को देने का प्रावधान है। लेकिन, वित्तीय अधिनियम 2017 के क्लॉज़ 135 और 136 के तहत इलेक्टोरल बॉन्ड को इसके बाहर रखा गया। इसके अलावा यह व्यवस्था भी की गई कि राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आयोग को दिए गए अपने आमदनी-ख़र्च के हिसाब किताब में इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देना अनिवार्य नहीं है।
इससे न तो इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले व्यक्ति या कंपनी का पता चलता है और न ही इसके ज़रिए जिसे पैसे दिए जा रहे हैं, उसका पता चलता है। राजनीतिक दलों के हिसाब-किताब में यह दर्ज नहीं होता है और चुनाव आयोग को इसकी कोई जानकारी नहीं होती है।
इलेक्टोरल बॉन्ड काले धन को बढ़ावा दे सकता है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। कंपनीज़ एक्ट की धारा 182 के तहत यह व्यवस्था की गई थी कि कोई कंपनी अपने सालाना मुनाफ़ा के 7.5 प्रतिशत से अधिक का चंदा नहीं दे सकती। लेकिन इलेक्टोरल बॉन्ड को इससे बाहर रखा गया है। इसका नतीजा यह हुआ कि बेनामी या शेल कंपनी के ज़रिए पैसे दिए जा सकते थे। शेल कंपनियों के पास काला धन होता है। इस तरह बड़े आराम से काला धन चंदे के रूप में राजनीतिक दलों को दिया जा सकता है और किसी को पता भी नहीं चलेगा।
विकास के दृष्टिकोण से किसी को डरना नहीं: पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एएनआई से साक्षात्कार में कहा कि बीजेपी देश में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि 2047 तक देश के विकास के उनके दृष्टिकोण से किसी को डरना या भयभीत नहीं होना चाहिए। जब उनसे '2047 विज़न' के संदर्भ के बारे में पूछा गया तो पीएम ने कहा, '2047 स्वतंत्रता के 100 वर्ष का प्रतीक है। यह अपने आप में एक प्रेरणा है और नए उत्साह के साथ विकास की ओर बढ़ने का अवसर है।'
अयोध्या में राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में राजनीतिक दलों के नेताओं के नहीं आने पर टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'वोट बैंक को खुश करने के लिए प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को खारिज कर दिया गया।' उन्होंने कहा, 'दूसरी ओर, मैं सोच रहा था कि मैं समारोह के लिए खुद को योग्य कैसे बनाऊंगा।'
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चुनावी रैलियों में 'मोदी की गारंटी' के उद्देश्य के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आगामी चुनावों में प्रत्येक उम्मीदवार महत्वपूर्ण है। लेकिन 'मोदी की गारंटी' जिम्मेदारी लेने के बारे में है। यदि आप अन्य राजनीतिक दलों को देखते हैं, नेताओं के भाषणों में कोई जवाबदेही नहीं है। वे कहते हैं कि हम एक बार में गरीबी हटा देंगे और मैं हैरान हूं कि उनके पास पांच से छह दशक का राजनीतिक नेतृत्व था लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।'
नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने 5-6 दशकों तक शासन किया, जबकि वह सिर्फ 10 साल ही शासन कर पाए। उन्होंने कहा कि इन 10 सालों में से 2 साल कोविड में चले गए।
इस इंटरव्यू में टेस्ला के मालिक एलन मस्क की भारत यात्रा और उनके पीएम मोदी का प्रशंसक होने पर भी सवाल किया गया। जब पीएम मोदी से पूछा गया कि क्या भारत में टेस्ला की कारें और स्टारलिंक जैसे प्रोजेक्ट आएंगे तो इस पर उन्होंने कहा कि एलन मस्क मोदी के प्रशंसक हैं, ये अलग चीज है, लेकिन वो भारत के प्रशंसक हैं।
कांग्रेस के आरोप पर कि '400 पार से संविधान रद्द हो जाएगा' पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "जो व्यक्ति यूएन में जाकर दुनिया की सबसे पुरानी भाषा तमिल भाषा का गुणगान करता है, किस आधार पर उस व्यक्ति पर आप ऐसे आरोप लगा सकते हैं? समस्या विपक्ष में है वे देश को एक ही सांचे में ढालना चाहते हैं। हम विविधता की पूजा करते हैं...हम इसका जश्न मनाते हैं"।
इसके साथ ही उन्होंने राम मंदिर के मुद्दे पर कहा, "इस मुद्दे का राजनीतिकरण किसने किया? वोट बैंक की राजनीति को मज़बूत करने के लिए इस मुद्दे को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया और बार-बार इसे भड़काया गया। जब यह मामला अदालत में चल रहा था तब कोशिश की गई कि फैसला ना आए। विपक्ष के लिए यह एक राजनीतिक हथियार था। अब राम मंदिर बन गया तो उनके हाथ से यह मुद्दा ही चला गया है"।
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