वैक्सीन के असर को लेकर उठ रही तमाम चर्चाओं के बीच केंद्र सरकार ने ये फ़ैसला लिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी दूसरे चरण में कोरोना की वैक्सीन लगेगी। इसके अलावा सभी सांसद और सभी विधायक, जो 50 साल से ऊपर की उम्र के हैं उन्हें भी कोरोना की वैक्सीन लगाई जाएगी।
केंद्र सरकार के मुताबिक़, भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। अगले कुछ महीनों में ही 30 करोड़ भारतीयों को वैक्सीन लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी शुरुआत स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स से की गई है और सबसे पहले ऐसे 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है।
भारत में कोरोना की दो वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। इनमें से एक को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ऐस्ट्राज़ेनेका ने तैयार किया है जिसका नाम कोविशील्ड है जबकि दूसरी को भारत बायोटेक ने और इसका नाम कोवैक्सीन है। टीकाकरण अभियान की शुरुआत पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया ने पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही दोनों वैक्सीन को स्वीकृति दी है इसलिए लोग अफ़वाहों से दूर रहें।
वैज्ञानिकों और केंद्र सरकार की ओर से बार-बार ये भरोसा दिलाने के बाद भी कि कोरोना की दोनों वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित हैं, लोग वैक्सीन लगवाने से हिचक रहे हैं। इसके पीछे ऐसी कुछ घटनाएं जिम्मेदार हैं, जिनमें वैक्सीन लगवाने के बाद लोगों की तबीयत बिगड़ी है। कई राज्यों से ऐसे मामले सामने आए हैं।
वैक्सीन लगने के बाद हुई मौत?
मुरादाबाद में कोरोना वैक्सीन की डोज लगवाने के 24 घंटे के भीतर महिपाल सिंह नाम के वार्ड ब्वॉय की मौत हो गई। 46 साल के महिपाल की मौत बीते रविवार शाम को हुई। हालांकि मुरादाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) का कहना है कि महिपाल की मौत का वैक्सीन से कोई लेना-देना नहीं है जबकि परिजनों का आरोप है कि टीका लगने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई थी।
कोवैक्सीन को लेकर हुआ था विवाद
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल यानी परीक्षण के बाद भोपाल में एक वालंटियर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद काफी विवाद हुआ था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसके परीक्षण पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई थी।भोपाल के टीला जमालपुरा क्षेत्र के सूबेदार कालोनी में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर दीपक मरावी को 12 दिसंबर को कोवैक्सीन का ट्रायल टीका लगाया गया था। मरावी की पत्नी का आरोप है कि कोवैक्सीन का ट्रायल टीका लगाने से पहले तक उसके पति सेहतमंद थे लेकिन ट्रायल के बाद से उनकी तबीयत बिगड़ने लगी थी। नौ दिनों के बाद 21 दिसंबर को दीपक की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी।
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