भारत में सबसे पहले ऑक्सफ़ोर्ड की कोरोना वैक्सीन के आने की चर्चा होती रही और फ़ाइजर ने अपनी वैक्सीन के लिए आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन भी कर दिया। यानी फ़ाइजर पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसने भारत में इमर्जेंसी यूज अथॅराइजेशन के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीजीसीआई के सामने आवेदन दिया है। इससे पहले ब्रिटेन और बहरीन में टीकाकरण के लिए इसे मंजूरी मिल चुकी है।
दवा नियामक को 4 दिसंबर को सौंपे गए अपने आवेदन में फर्म ने देश में बिक्री और वितरण के लिए वैक्सीन आयात करने की अनुमति माँगी है। इसके अलावा न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल नियम, 2019 के तहत विशेष प्रावधानों के अनुसार भारतीय लोगों पर क्लिनिकल ट्रायल से छूट माँगी गई है। पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से यह ख़बर दी है। बता दें कि भारत में फाइज़र वैक्सीन का ट्रायल अब तक नहीं हुआ है।
ब्रिटेन ने फाइज़र वैक्सीन को हरी झंडी दे दी है और वहाँ जल्द ही यह टीका लगाया जाने लगेगा। इसके साथ ही अब यह सवाल नहीं उठेगा कि 'आख़िर वैक्सीन आएगी कब?' यह वह सवाल था जो किसी भी वैक्सीन की कोई भी ख़बर आने के साथ उठाया जा रहा था। अब इस ताज़ा ख़बर के साथ ही दूसरे कई संदेहों पर भी विराम लग जाएगा। फ़ाइज़र ने यह वैक्सीन जर्मनी की फार्मा कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर तैयार की है। पहले इसके बारे में रिपोर्ट आई थी कि तीसरे चरण के ट्रायल के बाद यह वैक्सीन संक्रमण को रोकने में 95% प्रभावी पाई गई।
ब्रिटेन सरकार ने कहा है कि इसने फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन को इस्तेमाल करने के स्वतंत्र चिकित्सा नियामक, मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी यानी एमएचआरए के सुझाव को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि पूरे ब्रिटेन में यह अगले हफ़्ते से उपलब्ध होगी।
ब्रिटेन की वैक्सीन कमेटी तय करेगी कि स्वास्थ्य और देखभाल स्टाफ, बुजुर्ग और ऐसे लोग जो चिकित्सकीय रूप से बेहद कमज़ोर हैं, आदि प्राथमिकता वाले समूहों में से किसे सबसे पहले फाइज़र की वैक्सीन लगाई जाएगी।
फ़ाइज़र से पहले ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन के बारे में ख़बर थी कि आपात इस्तेमाल के लिए जल्द ही मंजूरी माँगी जाएगी। सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने 28 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक के बाद कहा था कि दो हफ़्ते में आपात मंजूरी के लिए भारत में नियामक संस्था के पास आवेदन किया जाएगा। यह वैक्सीन ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका कंपनी मिलकर तैयार कर रही है और इसी वैक्सीन के उत्पादन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ने क़रार किया है।
अदार पूनावाल पहले भी उम्मीद जता चुके हैं कि दिसंबर तक इस वैक्सीन को आपात मंजूरी मिलने की उम्मीद है और फ़रवरी से देश भर में स्वास्थ्य कर्मियों को इसका टीका लगाए जाने की संभावना है। पहले वह यह भी कह चुके हैं कि अप्रैल से आम लोगों को इस वैक्सीन के मिलने की उम्मीद है।
अदार पूनावाला ने कहा है कि सरकार को वैक्सीन की एक डोज 3-4 डॉलर की पड़ेगी। यानी क़रीब 300-400 रुपये की। लेकिन आम लोगों के लिए यह 4-5 डॉलर का ख़र्च आएगा। यानी क़रीब 400-500 रुपये। वैक्सीन की दो डोज के लिए इसके दोगुने रुपये लगेंगे।
लेकिन फाइजर वैक्सीन के साथ सबसे बड़ी दिक्कत है इसे सुरक्षित रखने की व्यवस्था की। इसे क़रीब -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर करना पड़ता है। भारत में दूर-दराज के क्षेत्रों के लिए ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर मुश्किल है। ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन सामान्य रेफ़्रिजरेटर पर भी रखी जा सकती है।
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