यदि आपको लगता है कि ख़राब हवा से सिर्फ़ गले में जलन, आँखों से पानी आना, साँस लेने जैसी दिक्कत ही आ रही है तो आपको सचेत हो जाना चाहिए। दरअसल, यह आपकी ज़िंदगी को कम कर रही है। नये अध्ययन में दावा किया गया है कि उत्तर भारत में 'गंभीर' वायु प्रदूषण के कारण लोगों की ज़िंदगी औसत रूप से सात साल कम हो सकती है।
वायु प्रदूषण से सात साल घट सकती है उत्तर भारतीयों की ज़िंदगी
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- 1 Nov, 2019
यदि आपको लगता है कि ख़राब हवा से सिर्फ़ गले में जलन, आँखों से पानी आना, साँस लेने जैसी दिक्कत ही आ रही है तो आपको सचेत हो जाना चाहिए। दरअसल, यह आपकी ज़िंदगी को कम कर रहा है।

यह दावा अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय में एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट यानी ईपीआईसी ने किया है। संस्थान ने वायु प्रदूषण से उम्र पर पड़ने वाले असर को देखने के लिए एयर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स यानी एक्यूएलआई तैयार किया है। इस एक्यूएलआई से पता चलता है कि सिंधू-गंगा समतल क्षेत्र यानी मोटे तौर पर उत्तर भारत में 1998 से 2016 तक प्रदूषण में 72% की वृद्धि हुई है। इस क्षेत्र में भारत की क़रीब 40% आबादी रहती है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 1998 में ख़राब हवा से लोगों की जीवन प्रत्याशा यानी जीने की औसत उम्र 3.7 वर्ष कम हो गई होगी।