क्या भारत-चीन सम्बन्धों में तनाव व टकराव और बढ़ने के आसार हैं? क्या पिछले साल लद्दाख में हुई चीनी घुसपैठ सिर्फ एक बानगी है जो आने वाले समय में उसके मंसूबों को उजागर करती है? क्या बीजिंग सीमा विवाद पर भारत को लंबे समय तक उलझाए रखने की रणनीति पर चल रहा है और उसने उसके हिसाब से ही रणनीति बनाई है?
अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा है कि चीन भारत की सीमा पर अपने दावों को हासिल करने के लिए रणनीतिक कार्रवाई पहले की अपेक्षा तेज़ी से कर रहा है।
इसने यह भी कहा है कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए यानी चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ कर वास्तविक अनुभव भी हासिल कर लिया है और अपनी योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर उतारने की दिशा में वह आगे बढ़ रही है।
पेंटागन की रिपोर्ट
पेंटागन ने 'चीन से जुड़ी सैन्य व सुरक्षा मामले' नामक एक रिपोर्ट हाल के दिनों में जारी की है। इसमें इस पर भी चिंता जताई गई है कि चीन ने तिब्बत व अरुणाचल प्रदेश के बीच विवादित ज़मीन पर सौ घरों वाला एक गाँव बसा लिया है।
यह गाँव त्सारी चू नामक नदी के किनारे बसा हुआ है। यह इलाक़ा 60 साल से चीन के नियंत्रण में हैं, लेकिन उसने अब वहाँ एक गाँव बसा लिया है, जो पूरी तरह उसके नियंत्रण में है।
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है। इस गाँव का महत्व यह है कि इसे सामान्य गाँव के रूप में भले ही बसाया गया हो, ज़रूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल एक कैन्टोनमेंट एरिया के रूप में भी किया जा सकता है।
पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ़्टीनेंट जनरल मनोज पांडेय ने 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' से कहा कि "दुहरे प्रयोग वाला यह गाँव भारत की निगाह में है और वह उसे ध्यान में रख कर ही अपनी योजनाएँ बना रहा है।"
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एलएसी
अमेरिकी रक्षा विभाग ने इस रिपोर्ट में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी और तैयारियों पर चिंता जताई है। इसमें कहा गया है कि "छह साल में चीन के पास 700 से ज़्यादा परमाणु हथियार होंगे और 2030 तक इनकी तादाद बढ़ कर एक हज़ार के पार हो जाएगी।"
पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी आने वाले समय में भारत से सटे 'वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर अपनी मौजूदगी और बढ़ाएगी', 'अपने सैनिकों को वहाँ टिकाए रखने की तैयारी करेगी।'
इसमें यह भी कहा गया है कि 'दोनों देशों के बीच हुई बाचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।'
पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है, "पीएलए ने मई 2020 में भारत के नियंत्रण वाले इलाक़ों में घुसपैठ की शुरुआत की, इसके बाद कई विवादित जगहों पर सेना तैनात कर दी। इसके अलावा तिब्बत व शिनजियांग सैन्य ज़िले में बड़े पैमाने पर सैन्य तैनाती की गई है।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने 'सीफोरआई' (कमान्ड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर एंड इंटेलीजेन्स) प्रणाली लागू की है। इसके तहत पीएलए ने पश्चिमी हिमालय में अपने इलाक़े में ऑप्टिक फ़ाइबर का जाल बिछा दिया है ताकि तेज़ रफ़्तार से संपर्क स्थापित किया जा सके।
चीनी रणनीति
इसमें यह भी कहा गया है कि 'चीन ने भारत में सैन्य घुसपैठ करते हुए भारत के उकसावे का बहाना किया', 'वह आने वाले समय में एलएसी यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी सैन्य मौजूदगी बनाए रखेगा' और 'एलएसी की अपनी परिभाषा को लागू करेगा', यानी जहाँ तक वह दावा करता है वहाँ तक अपने सैनिकों की तैनाती करेगा।
अमेरिकी रक्षा विभाग हर साल इस तरह की रिपोर्ट तैयार करता है और चीन उसके फोकस पर हमेशा ही रहता है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस बार मामला अधिक गंभीर इसलिए है कि चीन और अमेरिका के बीच रिश्ते पहले से बदतर हैं, भारत-चीन रिश्तों में तल्ख़ी बनी हुई है और भारत-अमेरिकी नज़दीकियाँ बढ़ी हैं।
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भारत-अमेरिका रिश्ते
चीन ने भले ही औपचारिक तौर पर भारत को अपना सैन्य साझेदार घोषित न किया हो, पर वह कई बार भारत को अपना 'मित्र व साझेदार' कह चुका है। इसके अलावा दक्षिण चीन सागर में जिस तरह अमेरिका चीन की घेराबंदी कर रहा है और भारत उसमें बढ़- चढ़ कर हिस्सा ले रहा है, उसकी छाप भी इस रिपोर्ट पर दिख रही है।
भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान व अमेरिका का समूह क्वाडिलैटरल स्ट्रैटजिक डायलॉग्स यानी क्वैड जिस तरह तेज़ी से बढ़ रहा है और वाशिंगटन हिंद प्रशांत क्षेत्र यानी इंडो पैसिफ़िक एरिया में भारत की भूमिका की बात बार-बार कह रहा है, उससे भी साफ है कि अमेरिका की नज़र भारत-चीन सम्बन्धों पर है। वाशिंगटन चाहता है कि वह दिल्ली का इस्तेमाल बीजिंग के ख़िलाफ़ करे, भले ही इससे भारत-चीन में वैमनस्य बढ़े।
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