सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर कर राजद्रोह क़ानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। यह पाँचवीं ऐसी याचिका है जिसमें राजद्रोह क़ानून पर सवाल उठाए गए हैं। ताज़ा याचिका दो महिला पत्रकारों-पेट्रीसिया मुखिम और अनुराधा भसीन ने दायर की है। इसमें उन्होंने कहा है कि पत्रकारों को डराने, चुप कराने और दंडित करने के लिए राजद्रोह क़ानून का अनर्गल इस्तेमाल जारी है। इस याचिका के दायर किए जाने से पहले एक अन्य याचिका पर पिछले हफ़्ते ही सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि देश के आज़ाद होने के 75 साल बाद भी क्या राजद्रोह के क़ानून की ज़रूरत है?
'राजद्रोह क़ानून से प्रेस की स्वतंत्रता बाधित', सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका
- देश
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- 29 Mar, 2025
सुप्रीम कोर्ट में दो महिला पत्रकारों-पेट्रीसिया मुखिम और अनुराधा भसीन ने राजद्रोह क़ानून के ख़िलाफ़ याचिक दायर कर कहा है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता के अधिकार की पूर्ण प्राप्ति को बाधित करता है।

ताज़ा याचिका में पेट्रीसिया मुखिम और अनुराधा भसीन ने कहा है कि पिछले छह दशकों के अनुभव से एक अनूठा निष्कर्ष निकलता है कि जब तक इस प्रावधान को आईपीसी से हटा नहीं दिया जाता है, तब तक यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता के अधिकार की पूर्ण प्राप्ति को बाधित करना जारी रखेगा।