सुप्रीम कोर्ट में दो महिला पत्रकारों-पेट्रीसिया मुखिम और अनुराधा भसीन ने राजद्रोह क़ानून के ख़िलाफ़ याचिक दायर कर कहा है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता के अधिकार की पूर्ण प्राप्ति को बाधित करता है।
मुखीम कोर्ट के निर्णय की रिपोर्ट करके सिर्फ़ अपने धर्म का निर्वाह कर रही थीं। जनतांत्रिक मूल्यों को लेकर ऐसी प्रतिबद्धता राष्ट्रीय संपादकों में शायद ही देखी जाती है।