समय के साथ समाज बदलता है और इसके साथ सामाजिक मान्यताएँ, मूल्य व विचार भी। लेकिन क्या ऐसा बदलाव पीछे ले जाने वाला होना चाहिए? समलैंगिकता से जुड़ी धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले और रद्द किए जा चुके व्यभिचार क़ानून को लेकर जो मीडिया रिपोर्टें आ रही हैं वे इसी ओर इशारा कर रही हैं।
धारा 377, व्यभिचार क़ानून बहाल की जा सकती है: रिपोर्ट
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- 28 Oct, 2023
जिन क़ानूनों को सुप्रीम कोर्ट पाँच साल पहले ही अवैध घोषित कर चुका है क्या उसको फिर से लागू करने की तैयारी है? यदि ऐसा तो क्या समाज को पीछे धकेलने जैसा नहीं होगा?

मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए तीन विधेयकों की समीक्षा कर रहे एक संसदीय पैनल ने ऐसे बदलाव के संकेत दिए हैं। इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि अपनी मसौदा रिपोर्ट में बीजेपी सांसद बृजलाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने व्यभिचार कानून को वापस लाने की सिफारिश की है। समिति ने इसमें लिंग-तटस्थ प्रावधान जोड़ने के साथ-साथ पुरुषों, महिलाओं या ट्रांसपर्सनों के बीच बिना सहमति के यौन संबंध को अपराध मानने की सिफारिश की है। लिंग-तटस्थ का अर्थ है कि पुरुष और महिला दोनों को सजा का सामना करना पड़ सकता है।