अडानी के खिलाफ जांच की मांग को लेकर संसद के दोनों सदनों में आज गुरुवार को जबरदस्त हंगामा हुआ। नारेबाजी हुई। स्पीकर ने विपक्ष को अडानी का मामले उठाने की इजाजत नहीं दी। हंगामे को बढ़ता देख संसद को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। अडानी समूह के मामले में विपक्षी दलों ने अब उच्चस्तरीय जाँच की मांग की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में विपक्षी दलों के सदस्यों ने एक संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी या सीजेआई द्वारा नियुक्त पैनल द्वारा अडानी समूह की जाँच की मांग की है। संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए खड़गे ने कहा कि विपक्ष द्वारा पेश नोटिस हमेशा खारिज कर दिए जाते हैं, यही वजह है कि विपक्षी सदस्यों ने इस मुद्दे को एक साथ उठाने का फ़ैसला किया।
अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने जो धोखाधड़ी के दावे किए उसको लेकर अब संसद में हंगामा खड़ा हो गया है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की तो सदन में व्यधान हुआ। विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा की मांग इसलिए कर रहा है क्योंकि हिंडनबर्ग रिसर्च ने उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनियों पर स्टॉक में हेरफेर और एकाउंट्स में धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। हालाँकि अडानी ने इन आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि यह उसको बदनाम करने के लिए किया गया है। लेकिन इसके बाद से अडानी समूह की कंपनियों के शेयर धड़ाम गिरे हैं और लगातार गिरते ही जा रहे हैं। हालात तो ऐसे हो गए हैं कि अडानी एंटरप्राइजेज को अपना एफ़पीओ वापस लेना पड़ा है। यह अडानी समूह के लिए बड़ा झटका है।
विपक्षी दल फ़िलहाल संसद में इस पर चर्चा की मांग कर रहे हैं कि अडानी समूह के शेयरों में निरंतर गिरावट से भारतीय निवेशकों के लिए जोखिम पैदा हो रहा है। इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए विपक्षी दलों ने गुरुवार को संसद की नियमित कार्यवाही को स्थगित करने की मांग की।
आज सदन शुरू होने से पहले कई विपक्षी दलों के नेताओं ने बजट सत्र के दौरान केंद्र सरकार को घेरने के लिए एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए सुबह संसद परिसर में बैठक की और अडानी समूह के मुद्दे पर चर्चा करने का फ़ैसला किया।
एक रिपोर्ट के अनुसार राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कक्ष में हुई उस बैठक में तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी, डीएमके, जनता दल-यूनाइटेड और वाम दलों सहित 13 दलों के नेता शामिल हुए।
विपक्ष की रणनीति दोनों सदनों में इस मुद्दे को उठाने को रही और इसलिए विपक्षी नेताओं ने लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों में चर्चा की मांग की।
बता दें कि अडानी कंपनियों के शेयरों की क़ीमतें धड़ाम गिरी हैं। यह गिरावट अब क़रीब क़रीब 40 फ़ीसदी तक हो गई है। ये गिरावट हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद आई है। हिंडनबर्ग अमेरिका स्थित निवेश रिसर्च फर्म है जिसे एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलिंग में महारत हासिल है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनियों पर स्टॉक में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया।
यह रिपोर्ट अडानी समूह के प्रमुख अडानी एंटरप्राइजेज की 20,000 करोड़ रुपये की फॉलो-ऑन शेयर बिक्री से पहले आई। समूह का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर यानी एफपीओ 31 जनवरी को बंद हो गया। हालाँकि तय समय में यह पूरी तरह सब्सक्राइब्ड हो गया था, लेकिन इस बीच समूह ने अपने एफ़पीओ को वापस लेने यानी रद्द करने की घोषणा कर दी।
इसने एक बयान में कहा, 'अभूतपूर्व स्थिति और मौजूदा बाजार की अस्थिरता को देखते हुए कंपनी का लक्ष्य एफपीओ की रक़म वापस करके और लेनदेन को वापस लेकर अपने निवेश समुदाय के हितों की रक्षा करना है।" बहरहाल, एफ़पीओ को वापस लेने के अडानी एंटरप्राइजेज के फ़ैसले को कंपनी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
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