कृषि विधेयकों को काला क़ानून बता रहे विपक्ष ने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ जोरदार मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को विपक्ष ने एलान किया है कि जब तक उसकी तीन मांगें नहीं मानी जातीं, वह राज्यसभा का बहिष्कार जारी रखेगा। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने उग्र तेवर अपनाते हुए मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के थोड़ी ही देर बाद सदन से वॉक आउट कर दिया। इसके बाद आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के सांसद भी कांग्रेस का साथ देते हुए सदन से बाहर चले गए।
सदन में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा है कि तीन मांगों में सबसे प्रमुख मांग 8 सांसदों का निलंबन वापस लेने की है।
शून्यकाल के दौरान ग़ुलाम नबी आज़ाद ने यह मांग भी रखी कि सरकार जो विधेयक ला रही है, उसमें इस बात को तय किया जाना चाहिए कि निजी क्षेत्र के कारोबारी सरकार द्वारा निर्धारित किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम पर अनाज की ख़रीद न कर सकें। उन्होंने सरकार से मांग कि एमएसपी को स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार निर्धारित किया जाना चाहिए।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने कहा कि विपक्ष को बोलने का मौक़ा नहीं दिया गया और सिर्फ़ एकतरफ़ा रवैया अपनाया गया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे ये विधेयक किसान, ग़रीब और मजूदर के हित में नहीं हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मंगलवार को ट्वीट करके मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला। राहुल ने ट्वीट कर बताने की कोशिश की कि बीजेपी ने इस पर किस तरह अपना स्टैंड बदला है।
2014- मोदी जी का चुनावी वादा किसानों को स्वामीनाथन कमिशन वाला MSP
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 22, 2020
2015- मोदी सरकार ने कोर्ट में कहा कि उनसे ये न हो पाएगा
2020- काले किसान क़ानून
मोदी जी की नीयत ‘साफ़’
कृषि-विरोधी नया प्रयास
किसानों को करके जड़ से साफ़
पूँजीपति ‘मित्रों’ का ख़ूब विकास।
नायडू का कहना था कि सांसदों ने जिस तरह का व्यवहार किया, वह बेहद ख़राब था। इन सांसदों में डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, राजीव साटव, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन, सैयद नाज़िर हुसैन और एलामारान करीम शामिल हैं। राज्यसभा में किसानों से जुड़े विधेयकों के पारित होने के बाद रविवार को काफी देर तक हंगामा हुआ था और विपक्षी दलों के सांसदों ने इसके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की थी।
कृषि विधेयकों को लेकर संसद के दोनों सदनों के अलावा सड़क पर भी जोरदार विरोध हो रहा है। किसानों का कहना है कि वे इन विधेयकों को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे।
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