ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देशों में जिस तरह से तेज़ी से फैल रहा है उससे दुनिया के किसी भी देश का चिंतित होना स्वाभाविक है। लेकिन भारत इससे कितना चिंतित है और यहाँ इसको नियंत्रित करने के लिए कैसी तैयारी है?
ये सवाल इसलिए अहम हैं कि भारत में भी अब ओमिक्रॉन के कम से कम 236 मामले सामने आ चुके हैं और लगातार यह संख्या बढ़ती जा रही है। केंद्र सरकार ही यह कह चुकी है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा से कम से कम 3 गुना ज़्यादा तेज़ी से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ भी इसको लेकर लगातार चेतावनी दे रहा है।
भारत में 2 दिसंबर को पहली बार ओमिक्रॉन वैरिएंट के दो मामलों की पुष्टि हुई। इससे पहले 24 नवंबर को दुनिया में सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में इस नये वैरिएंट की पुष्टि हुई थी। लेकिन इसके बाद पहली बार भारत में प्रधानमंत्री मोदी आज समीक्षा बैठक लेने वाले हैं। इससे दो दिन पहले केंद्र ने ओमिक्रॉन के ख़तरे को लेकर चेतावनी जारी की है और कोरोना से निपटने के तौर-तरीके बताए हैं। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु सहित कुछ शहरों में क्रिसमस और नये साल पर सार्वजनिक तौर पर जश्न मनाने पर रोक लगा दी गई है। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक उड़ानों को भी सुचारू नहीं करने दिया गया और एयरपोर्ट पर जाँच जैसी सुविधाएँ बढ़ाई गई हैं।
ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले आने के बाद केंद्र की ओर से यही कुछ प्रमुख क़दम हैं जो उठाए गए हैं। तो क्या इन क़दमों से ही ओमिक्रॉन को नियंत्रित किया जा सकेगा?
दुनिया भर में जिस तरह से बूस्टर खुराक देने में तेज़ी लाई जा रही है, वैसा काम भारत में क्यों नहीं हो रहा है?
दुनिया के कई देशों में प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, रैलियों व सभाओं को नियंत्रित किया जा रहा है, मास्क को ज़रूरी किया जा रहा है, सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को कड़ाई से लागू किया जा रहा है। लेकिन क्या भारत में यह सब हो रहा है? क्या चुनावी रैली और सभाएँ रुकीं? क्या मास्क के इस्तेमाल और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कराया जा रहा है?
केंद्र की ओर से अभी तक यह नहीं कहा गया है कि भारत में सभी लोगों को आख़िर कब तक पूरी तरह टीके लगाए जा सकेंगे और कब तक बूस्टर खुराक देने की शुरुआत होगी। कोरोना वैक्सीनेशन पर ही एडवाइजरी ग्रुप के सदस्य ने बुधवार को कहा है कि बच्चों के लिए कोरोना टीके पर अभी फ़ैसला नहीं लिया गया है।
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केंद्र की ओर से इस बारे में जो अब तक सबसे ठोस क़दम उठाए गए हैं वे हैं- केंद्र द्वारा राज्यों को सिर्फ़ निर्देश देना। केंद्र सरकार ने दो दिन पहले ही राज्यों को अपनी तैयारी तेज़ करने, स्वास्थ्य व्यवस्था मज़बूत करने, जाँच व केसों की ट्रेसिंग को सुदृढ़ करने को कहा है। इसके साथ ही इसने यह भी कहा है कि किन परिस्थितियों में किस तरह के प्रतिबंध लगाए जाएं।
केंद्र ने कहा है कि स्थानीय व ज़िला स्तर पर अधिक दूरदर्शिता दिखानी होगी, डेटा विश्लेषण करना होगा, गतिशील निर्णय लेने होंगे और इसके रोकथाम के लिए कड़ी और त्वरित कार्रवाई करने की ज़रूरत है।
केंद्र ने राज्यों को इसके लिए कुछ बुनियादी दिशा-निर्देश भी दिए हैं। इसने कहा है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को संक्रमण की एक तय सीमा तक पहुँचने से पहले ही रोकथाम के उपाय कर लेने चाहिए। इसने कहा है कि पिछले एक सप्ताह में 10 प्रतिशत या उससे अधिक की पॉजिटिविटी रेट हो जाने या फिर ऑक्सीजन वाले आईसीयू बेड 40 प्रतिशत भर जाने पर तय सीमा आ जाएगी।
केंद्र ने पत्र में रोकथाम के उपाए भी बताए हैं। इन उपायों में रात का कर्फ्यू, बड़े समारोहों का नियमन, कार्यालयों व सार्वजनिक परिवहन में लोगों की संख्या पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल हैं।
यह भी सुझाव दिया गया है कि आपातकालीन फंड का उपयोग अस्पताल के बिस्तर, एम्बुलेंस, ऑक्सीजन उपकरण और दवाओं सहित चिकित्सा के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए किया जाए।
टेस्ट और निगरानी को मज़बूत करने के लिए केंद्र ने डोर-टू-डोर केस ढूंढने, सभी कोविड पॉजिटिव लोगों की संपर्क ट्रेसिंग और ओमिक्रॉन के लिए क्लस्टर नमूनों की जाँच का ज़िक्र किया है। राज्यों को 100 प्रतिशत टीकाकरण कवरेज में तेजी लाने को सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है।
इससे पहले सरकार ने 1 दिसंबर से एयरपोर्ट के लिए नई गाइडलाइंस जारी की थी। भारत में सभी एयरपोर्ट्स पर यह नियम लागू हो गया है कि ओमिक्रॉन के ‘ख़तरे’ वाले देशों से आने वाले लोगों को क्वारंटीन किया जाए। एयरपोर्ट से जाने से पहले उन्हें नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। ऐसे यात्री नेगेटिव रिपोर्ट आए बिना एयरपोर्ट से बाहर नहीं जा सकते हैं। टेस्ट नेगेटिव आने पर उन्हें सात दिन तक होम क्वारंटीन में रहना होगा। इसके अलावा ऐसे देश जहां पर ओमिक्रॉन वैरिएंट का केस नहीं मिला है, वहां से आने वाले सभी यात्रियों का भी कोरोना टेस्ट किया जा रहा है।
लेकिन सवाल है कि क्या सिर्फ़ इन उपायों से ओमिक्रॉन को रोका जा सकता है? विशेषज्ञ बूस्टर खुराक पर जोर दे रहे हैं, लेकिन वह भारत में नहीं है। सबसे बड़ी चुनौती तो चुनावी रैलियाँ हैं। इस पर कुछ फ़ैसला लिए बिना कोई भी क़दम कितने कारगर सिद्ध होंगे?
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