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हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- "जमानत नियम है, और जेल अपवाद है।" लेकिन पिछले पांच वर्षों से चल रहे इस मामले में उमर खालिद, शारजील इमाम, खालिद सैफी और अन्य आरोपी जमानत नहीं पा सके और जेल में बंद हैं।
अप्रैल 2022 में जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की पीठ ने जमानत याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। पीठ ने सभी चार मामलों में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। दोनों पक्ष अपनी दलीलें पूरी कर चुके थे।
5 जुलाई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मणिपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए जस्टिस मृदुल की सिफारिश की। मणिपुर HC के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति 16 अक्टूबर, 2023 को अधिसूचित की गई और उन्होंने चार दिन बाद शपथ ली। उनके जाने से पहले जमानत याचिका पर कोई आदेश नहीं दिया गया था। आगे पढ़ेंगे तो हैरान रह जायेंगे।
जुलाई 2024 में, उमर खालिद की जमानत का मामला जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की बेंच के सामने सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया। जस्टिस शर्मा द्वारा मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने के बाद मामले को अलग तारीख पर अलग बेंच के सामने दोबारा लिस्ट करने के लिए भेजा गया था। जस्टिस शर्मा ने सुनवाई से खुद को अलग इसलिए कर लिया था, क्योंकि वह वकील के रूप में काम करते समय कभी एनआईए के लिए विशेष लोक अभियोजक के रूप में विभिन्न यूएपीए मामलों में पेश हुए थे।
जनवरी 2024 में, रोस्टर में एक और बदलाव अधिसूचित किया गया, जिसके अनुसार आपराधिक अपीलों को जस्टिस कैत और मनोज जैन की पीठ द्वारा निपटाया जाना था। इस पीठ ने जनवरी से मई 2024 तक चार बार जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। लेकिन कोई फैसला नहीं आया।
वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने हाल ही में इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था- “मेरे मुवक्किल को मार्च 2020 में गिरफ्तार किया गया था और अदालत ने न तो उसके खिलाफ आरोप तय किए हैं और न ही मामले में सुनवाई शुरू की है। उनकी जमानत याचिका पहली बार मई 2022 में हाईकोर्ट में दायर की गई थी, और अब हमें इस पर फिर से बहस करनी होगी। त्वरित सुनवाई का अधिकार और जमानत दिए जाने का अधिकार संवैधानिक अधिकार हैं।” लेकिन इस मामले में सारे तथ्य सामने हैं।
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