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उमर खालिद और शारजीत इमाम

उमर खालिद-शारजील इमामः कभी जज नहीं, कभी तबादला, आखिर कब तक

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपी लोगों की जमानत याचिका पर सुनवाई सोमवार को फिर से स्थगित कर दी। इन मामलों को सोमवार 7 अक्टूबर को जस्टिस नवीन चावला औरजस्टिस शलिन्दर कौर की नई बेंच के सामने नये सिरे से सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया था। अदालत को अन्य सह-अभियुक्तों सलीम खान, शिफा उर रहमान, शादाब अहमद, अतहर खान, खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा की भी सुनवाई इस मामले में करना थी। लेकिन जस्टिस नवीन चावला के कोर्ट में न बैठने से इस सुनवाई को 25 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया है। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है। इससे पहले भी यह मामला कभी जजों के तबादले, कभी जज के उपलब्ध न होने, कभी सरकारी वकील के न होने की वजह से टल रहा है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- "जमानत नियम है, और जेल अपवाद है।" लेकिन पिछले पांच वर्षों से चल रहे इस मामले में उमर खालिद, शारजील इमाम, खालिद सैफी और अन्य आरोपी जमानत नहीं पा सके और जेल में बंद हैं।


यह चौथी बार है जब मामला हाईकोर्ट में टला और इसकी सुनवाई भी नहीं हो पाई। आगे जो आप तथ्य पढ़ेंगे तो हैरान रह जाएंगे। मार्च 2022 से अलग-अलग दायर याचिकाओं पर आरोपियों के वकीलों ने दो अलग-अलग बेंच के समक्ष दो बार पूरी तरह से बहस की गई है। दोनों पीठों के साथ, पीठासीन जज को दूसरे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया गया, और कोई फैसला नहीं सुनाया गया। दरअसल, इस बेंच पीठ का नेतृत्व करने वाले जस्टिस सुरेश कुमार कैत के 26 सितंबर को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में भेजा गया। यह तीसरी बार था जब मामला इस वजह से टला।

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अप्रैल 2022 में जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की पीठ ने जमानत याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। पीठ ने सभी चार मामलों में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। दोनों पक्ष अपनी दलीलें पूरी कर चुके थे। 

5 जुलाई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मणिपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए जस्टिस मृदुल की सिफारिश की। मणिपुर HC के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति 16 अक्टूबर, 2023 को अधिसूचित की गई और उन्होंने चार दिन बाद शपथ ली। उनके जाने से पहले जमानत याचिका पर कोई आदेश नहीं दिया गया था। आगे पढ़ेंगे तो हैरान रह जायेंगे।
जस्टिस मृदुल को मणिपुर भेजे जाने का नतीजा ये निकला-  इसका मतलब यह हुआ कि मामलों की सुनवाई नई पीठ द्वारा नए सिरे से की जाएगी। इस मामले को नये सिरे से नवंबर 2023 में जस्टिस सुरेश कैत और शलिंदर कौर की पीठ के सामने लिस्ट किया गया। जिस पीठ के पास आपराधिक अपील रोस्टर था, उसने 1 नवंबर, 2023 को पहली बार मामलों की सुनवाई की। 
जुलाई 2024 में, उमर खालिद की जमानत का मामला जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की बेंच के सामने सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया। जस्टिस शर्मा द्वारा मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने के बाद मामले को अलग तारीख पर अलग बेंच के सामने दोबारा लिस्ट करने के लिए भेजा गया था। जस्टिस शर्मा ने सुनवाई से खुद को अलग इसलिए कर लिया था, क्योंकि वह वकील के रूप में काम करते समय कभी एनआईए के लिए विशेष लोक अभियोजक के रूप में विभिन्न यूएपीए मामलों में पेश हुए थे।

जनवरी 2024 में, रोस्टर में एक और बदलाव अधिसूचित किया गया, जिसके अनुसार आपराधिक अपीलों को जस्टिस कैत और मनोज जैन की पीठ द्वारा निपटाया जाना था। इस पीठ ने जनवरी से मई 2024 तक चार बार जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। लेकिन कोई फैसला नहीं आया।

 

अब जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शलिंदर कौर की बेंच में जब चौथी बार यह मामला 25 नवंबर को तभी सुना जाएगा, जब तक कोई नया घटनाक्रम जजों या सरकारी पक्ष के वकील की ओर से नहीं आता है।
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वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने हाल ही में इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था- “मेरे मुवक्किल को मार्च 2020 में गिरफ्तार किया गया था और अदालत ने न तो उसके खिलाफ आरोप तय किए हैं और न ही मामले में सुनवाई शुरू की है। उनकी जमानत याचिका पहली बार मई 2022 में हाईकोर्ट में दायर की गई थी, और अब हमें इस पर फिर से बहस करनी होगी। त्वरित सुनवाई का अधिकार और जमानत दिए जाने का अधिकार संवैधानिक अधिकार हैं।” लेकिन इस मामले में सारे तथ्य सामने हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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