क्या रफ़ाल सौदे में फ्रांसीसी कंपनी दसॉ को फ़ायदा पहुँचाने के लिए ही नियम क़ानून में बदलाव कर यह व्यवस्था की गई थी कि वह अपने ऑफ़सेट पार्टनर के बारे में उसी समय बताने के लिए बाध्य नहीं है? क्या इसक़ी वजह यह थी कि दसॉ पर यह दबाव था कि वह किसी एक ख़ास भारतीय कंपनी को ऑफ़सेट पार्टनर बनाए? क्या इसका मक़सद उस भारतीय ऑफ़सेट पार्टनर को ग़लत तरीके से फ़ायदा पहुँचाना था?