क्या रफ़ाल सौदे में फ्रांसीसी कंपनी दसॉ को फ़ायदा पहुँचाने के लिए ही नियम क़ानून में बदलाव कर यह व्यवस्था की गई थी कि वह अपने ऑफ़सेट पार्टनर के बारे में उसी समय बताने के लिए बाध्य नहीं है?
सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि राफेल की निर्माता कंपनी दसॉ एविएशन भारत में निवेश और टेक्नालॉजी देने के मामले में अपना वादा पूरा नहीं कर रही। सवाल उठता है कि इस मामले में चुप क्यों है, वह दसाँ पर दबाव क्यों नहीं डाल रही है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
क्या फ्रांसीसी कंपनी दसॉ रफ़ाल सौदे के ऑफ़सेट क़रार को इसलिए नहीं मान रही है कि उसे पहले ही इस मामले में काफ़ी छूट मिली थी और उसने इसके लिए सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से बात की थी?