चुनाव आयोग का काम केवल चुनाव कराना नहीं बल्कि चुनावी प्रक्रिया को बेहतर से बेहतर बनाना भी है ताकि अच्छे व ईमानदार लोग चुन कर आएँ। इसके लिए वह चुनाव प्रचार में पैसे और अपराध की भूमिका को कम करने का प्रयास कर रहा है। लेकिन उसके प्रयासों और सुझावों पर सरकार कान नहीं दे रही है।

अपनी सेवानिवृत्ति से एक सप्ताह पहले दिए एक इन्टरव्यू में मुख्य चुनाव आयुक्त ओमप्रकाश रावत ने इसी आशय का संकेत देते हुए कहा कि इलेक्टोरल बॉण्ड में आयोग को कई ख़ामियाँ दिखी थीं और आयोग ने सरकार के सामने अपनी राय भी रखी थी लेकिन उसकी अापत्तियों के बावजूद इनमें से किसी भी ख़ामी को दूर नहीं किया गया। 

पाँच राज्यों में विधानसभा के बीच चुनावी प्रक्रिया को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त रावत ने इकनॉमिक टाइम्स को एक इंटरव्यू दिया है। इसमें उन्होंने कहा कि आयोग ने राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉण्ड से मिले चंदे की रिपोर्ट को ऑडिट किया है और उसको देखने के बाद यही निष्कर्ष निकल रहा है। सरकार ने इस योजना की किसी भी ख़ामी को दूर नहीं किया है। इसी साल 2 जनवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की अधिसूचना प्रकाशित होने के बाद आयोग ने कई चिंताएँ जताई थीं।

आे. पी. रावत कहते हैं, 'बॉण्ड योजना में कई ख़ामियाँ हैं।