कोरोना टीके की कमी और साल के अंत तक हर हाल में देश के सभी लोगों का टीकाकरण करने के दावों के बीच सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि टीके का उत्पादन यकायक नहीं बढ़ाया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि यदि कोरोना वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने की सभी कोशिशें की जाएं तो भी टीके की आपूर्ति तुरन्त नहीं बढ़ाई जा सकती है।
सरकार ने कहा है कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें समय लगता है और टीके के रूप में अंतिम उत्पाद मिलने में काफी वक़्त लग जाता है।
सरकार के परस्पर विरोधी दावे
इसके अलावा सीरम इंस्टीच्यूट ने भी हर महीने दो करोड़ खुराक बनाने की उम्मीद जताई है। इसके साथ ही स्पुतनिक व दूसरी कुछ कंपनियों के टीके बाज़ार में जल्द ही आ जाएंगे।
केंद्र सरकार ने कहा है कि कुल मिला कर हर महीने कोरोना टीके की 10 करोड़ खुराक़ें उपलब्ध हो सकेंगी।
सरकार के दावों को यदि पूरी तरह सही मान लिया जाए और यह भी मान लिया जाए कि वह ऐसा करने में कामयाब होगी तो भी 30 दिसंबर तक छह महीने में कुल 60 करोड़ खुराकें ही बन पाएंगी।
दावों में छेद
भारत की आबादी 135-140 करोड़ के आसपास है। लेकिन 18 साल से कम उम्र की आबादी को छोड़कर, कुल 106 करोड़ लोग हैं। हालाँकि, अब अमेरिका में 12 साल तक के लोगों को टीके लगने लगे हैं और भारत में भी 2 साल से ऊपर के बच्चों पर भी टीके लगाने का ट्रायल किया जाना है तो बच्चों को टीके लगाए जाने की स्थिति में यह संख्या और बढ़ जाएगी।
बहरहाल, अगर इन 106 करोड़ लोगों को ही वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा जाए तो भी 212 करोड़ खुराक चाहिए। सरकार का दावा है कि अब तक क़रीब 20 करोड़ खुराक लगाई जा चुकी है। यानी क़रीब 192 करोड़ खुराक की अभी भी ज़रूरत है।
सरकार के पास उसके वादों के अनुसार ही दिसंबर 2021 तक 60 करोड़ टीके ही होंगे। यानी ज़रूरत का सिर्फ एक तिहाई या ज़रूरत से 132 करोड़ कम खुराकें।
सही कौन, जावड़ेकर या हर्षवर्द्धन?
यह विवाद इसलिए खड़ा हुआ है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के सवालों का जवाब देने के लिए सामने आए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जो तर्क दिए और उसी दिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने जो दावे किए, उनमें कहीं कोई मेल नहीं है, बल्कि वे एक-दूसरे के उलट हैं।
जावड़ेकर ने कहा, 'भारत ने अब तक 20 करोड़ से ज़्यादा वैक्सीन लगाई हैं और हम तेज़ी से टीकाकरण करने वाले देशों में दूसरे नंबर पर हैं। राहुल जी, अगर आप टीकाकरण की चिंता करते हैं तो कांग्रेस शासित राज्यों में ध्यान दें।'
जावड़ेकर का यह दावा ग़लत इसलिए है कि 20 करोड़ खुराकें दी गई हैं, जिनमें पहली खुराक और दूसरी खुराक़ दोनी ही शामिल है। इसमें लगभग 18 करोड़ पहली खुराक और लगभग दो करोड़ दूसरी खुराक है। दोनों खुराकें देने के बाद ही टीकाकरण पूरा कहा जा सकता है। इसलिए जावड़ेकर का यह कहना गलत है कि 20 करोड लोगों का टीकाकरण हो गया है।
लेकिन यदि जावड़ेकर के तर्क को सही भी मान लिया जाए तो भी हर्षवर्द्धन के मुताबिक दिसंबर तक सबका टीकाकरण नहीं हो सकता।
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