The new Drone Rules usher in a landmark moment for this sector in India. The rules are based on the premise of trust and self-certification. Approvals, compliance requirements and entry barriers have been significantly reduced. https://t.co/Z3OfOAuJmp
— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2021
नई ड्रोन नीति का मकसद ड्रोन को बढ़ावा देना है। इसके तहत ड्रोन खरीदने, आयात करने, रखने और चलाने से जुड़ी कई तरह की शर्तें हटा ली गई हैं,कई लाइसेंसों की ज़रूरत नहीं रही, काग़ज़ी कार्रवाई कम कर दी गई है और कई मामलों में अनुमति नहीं लेनी होगी। इस तरह कई तरह के लाइसेंस की ज़रूरत भी नहीं रहेगी।
केंद्र सरकार का मानना है कि इससे 2030 तक भारत 'वैश्विक ड्रोन हब' बनकर उभरेगा।
नई ड्रोन नीति के मुख्य बिन्दु
- नई नीति के तहत गैर-व्यावसायिक उपयोग वाले माइक्रो ड्रोन और नैनो ड्रोन के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस की ज़रूरत नहीं होगी।
- ड्रोन के आयात के लिए अब नागर विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए की मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। अब विदेश व्यापार महानिदेशालय यानी डीजीएफटी इसका आयात नियंत्रित करेगा।
- नए नियम के तहत ग्रीन ज़ोन में ड्रोन उड़ाने के लिए किसी अनुमति की ज़रूरत नहीं होगी।
- ड्रोन आयात के लिए फॉर्म की संख्या घटाकर 25 से 5 कर दी गई है।
- अब ड्रोन पर 72 की बजाय अब केवल 4 तरह के शुल्क लगेंगे।
- येलो ज़ोन का दायरा एयरपोर्ट की 45 किलोमीटर की परिधि की बजाय केवल 12 किलोमीटर तक ही होगा।
- ड्रोन की वजन सीमा 3 क्विंटल से बढ़ाकर 5 क्विंटल कर दी गई है।
सरकार का मानना है कि नए नियमों से अर्थव्यवस्था के क़रीब सभी क्षेत्रों जैसे कृषि, खनन, बुनियादी ढाँचे, परिवहन, रक्षा, निगरानी, पुलिस कार्य, आपातकालीन सेवा, मैपिंग आदि में ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकेगा और इससे उनकी कार्यकुशलता बढ़ेगी।
सरकार का कहना है कि अपनी पहुंच, कई कामों में इस्तेमाल होने, और उपयोग में आसानी के चलते अर्थव्यवस्था को ड्रोन से बड़ा फायदा हो सकता है।
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