बीजेपी को जाति जनगणना के मुद्दे पर तो सहयोगियों के बयानों का सामना करना ही पड़ रहा था, अब एक सहयोगी ने चार क़दम आगे बढ़ाते हुए अलग ओबीसी मंत्रालय के गठन की मांग की है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने जाति जनगणना के मुद्दे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को उनका वादा भी याद दिलाया है।
बीते सोमवार को ही जाति जनगणना की मांग को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी। नीतीश ने इस मामले में जल्द से जल्द क़दम उठाने की मांग की है।
केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने ‘इकनॉमिक टाइम्स’ से बातचीत में कहा कि वह एनडीए और संसद में कई बार जाति जनगणना की मांग कर चुकी है।
उत्तर प्रदेश में कुर्मी जाति के बीच में बड़ा आधार रखने वाले अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया ने कहा कि सितंबर, 2018 में गृह मंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह ने 2021 की जनगणना के दौरान ओबीसी की जातियों की ग़िनती कराने का वादा किया था। उन्होंने हैरानी जताई कि अब सरकार अपने वादे को पूरा करने से पीछे क्यों हट रही है।
अनुप्रिया पटेल को मोदी कैबिनेट के हालिया विस्तार में मंत्री बनाया गया था। अपना दल (सोनेलाल) उत्तर प्रदेश में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ता है। पटेल ने कहा कि जाति जनगणना से ही पता चलेगा कि पिछड़ी जातियों को कितना आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हमारी आबादी के अुनपात में आरक्षण देना है तो हमारी संख्या को ग़िनना होगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान में ओबीसी जातियों के बारे में जो अनुमान है, वह 1931 की जाति जनगणना के आधार पर है हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस बारे में अंतिम फ़ैसला प्रधानमंत्री को ही लेना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी राजनीतिक दल इसकी मांग कर रहे हैं।
संसद में उठी थी मांग
बिहार की नीतीश सरकार में बीजेपी के कोटे से मंत्री रामसूरत राय ने कुछ दिन पहले कहा था कि जातीय जनगणना कराई जानी चाहिए। बीजेपी की सांसद संघमित्र मौर्य ने लोकसभा में जातीय जनगणना कराने का समर्थन किया था। संघमित्र मौर्य ने कहा था कि यहां तक कि राज्यों और जिलों तक में जानवरों की गिनती हुई लेकिन पिछड़े समाज के लोगों की ग़िनती नहीं की गई।
जातीय जनगणना के साथ ही 27 फ़ीसदी आरक्षण की सीमा को बढ़ाए जाने की मांग उठ चुकी है। एसपी के मुखिया अखिलेश यादव भी इस बात को लोकसभा में उठा चुके हैं। अखिलेश ने ओबीसी की जातियों के जो आंकड़े हैं, उन्हें जारी करने की भी मांग रखी थी।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि ओबीसी के लिए केंद्र में अलग मंत्रालय का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब तक सामाजिक कल्याण मंत्रालय के अंदर ओबीसी कल्याण एक छोटा विभाग है। लेकिन जिस तरह उत्तर प्रदेश में अलग से ओबीसी कल्याण मंत्रालय है, उसी तरह केंद्र में भी बनाया जाना चाहिए।
अनुप्रिया पटेल ने ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर की सीमा को बढ़ाने की भी मांग उठाई और कहा कि इसे बढ़ाकर 15 लाख कर दिया जाना चाहिए लेकिन इसे 6 लाख से बढ़ाकर सिर्फ़ 8 लाख किया गया है।
अनुप्रिया की सियासी ख़्वाहिश
जाति जनगणना के मुद्दे पर बीते दिनों में आक्रामक रूप से मुखर हुईं अनुप्रिया पटेल उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबी सियासी छलांग लगाना चाहती हैं। वह कुर्मी मतों के साथ ही ओबीसी की बाक़ी जातियों में भी घुसपैठ कर यह संदेश देना चाहती हैं कि वह इस समुदाय की लड़ाई लड़ने में पीछे नहीं हैं। इसी के बल पर वह विधानसभा चुनाव में बीजेपी पर ज़्यादा सीटें देने के लिए दबाव बना सकती हैं। अनुप्रिया के पति आशीष पटेल भी राजनीति में सक्रिय हैं।
लुभा रही बीजेपी
बीजेपी ओबीसी समुदाय को लुभाने में जुटी है। वह पिछड़े वर्ग को राष्ट्रीय आयोग का दर्जा देना, नीट परीक्षा में ओबीसी छात्रों के लिए 27 फ़ीसदी आरक्षण, क्रीमी लेयर की सीमा को 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख करना और केंद्रीय विद्यालयों, जवाहर नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूलों में ओबीसी समूहों के छात्रों के दाखिले को आसान बनाना, मोदी सरकार में 27 मंत्री ओबीसी से हैं, इन क़दमों का प्रचार कर रही है। लेकिन इस सबके बाद भी जाति जनगणना के मुद्दे पर वह फंसी हुई दिखाई देती है।
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