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नई दिल्ली भगदड़ः आरपीएफ की रिपोर्ट ने रेलवे के कई दावों को झुठलाया

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ पर अपनी जांच रिपोर्ट तैयार की है। 15 फरवरी की रात को हुई इस भगदड़ में अभी तक 18 लोगों के मरने की पुष्टि सरकार की ओर से की गई है। हालांकि रेलवे ने भी दो सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है। जिसने सोमवार को स्टेशन पर आकर तमाम जानकारी हासिल की, लेकिन अभी इस कमेटी की रिपोर्ट नहीं आई है। अलबत्ता आरपीएफ की लीक रिपोर्ट मीडिया में घूम रही है।
इस रिपोर्ट ने रेलवे की कई जानकारियों का खंडन किया है। हालांकि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने शुरू में इस घटना को भगदड़ ही नहीं बताया था। लेकिन तभी भगदड़ कहना शुरू किया, जब प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे अपने बयान में भगदड़ कहा। शुरुआत में तो रेलवे के अधिकारियों ने घटना को ही अफवाह बता दिया था। लेकिन आरपीएफ की रिपोर्ट ने सब कुछ साफ कर दिया है। 
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  • घटना कितने बजे हुईः आरपीएफ रिपोर्ट के मुताबिक घटना रात 8.48 पर हुई। जबकि रेलवे के अधिकारियों ने घटना का समय रात 9.15 बजे बताया था।
  • दिल्ली फायर सर्विसेज ने बताया कि उन्हें दिल्ली पुलिस से पहली कॉल रात 9:55 बजे मिली।
  • घटना में समय का यह अंतर रेलवे की गंभीर खामियों को दर्शाता है। 
आरपीएफ रिपोर्ट के मुताबिक पहली घोषणा में ट्रेन को प्लेटफॉर्म 12 से और दूसरी घोषणा में प्लेटफॉर्म 16 से जाने की जानकारी दी गई। इसके बाद भगदड़ के हालात पैदा हुए। हालांकि, रेलवे ने प्लेटफॉर्म 16 से संबंधित किसी भी घोषणा से इनकार किया था। यानी इस रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे ने प्लेटफॉर्म 16 की घोषणा की बात छिपा ली। इस तरह यात्रियों पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश की गई। जबकि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों के बारे में की जा रही घोषणाएं विरोधाभासी थीं। घटना की रात कई प्रत्यक्षदर्शियों ने मीडिया बाइट में भी यह बात कही थी।
रिपोर्ट के मुताबिक कुंभ स्पेशल ट्रेन की घोषणा के बाद, प्लेटफॉर्म 12, 13, 14 और 15 के यात्री पैदल फुटओवर ब्रिज नंबर 2 और 3 की ओर भागे। इसी दौरान, मगध एक्सप्रेस और उत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के यात्री प्लेटफॉर्म 14 और 15 से उतर रहे थे। दोनों तरफ के यात्रियों आपस में टकराये और अफरातफरी में कुछ यात्री गिर गए और दूसरों के पैरों तले कुचल गए।
आरपीएफ रिपोर्ट का यह पैराग्राफ बहुत महत्वपूर्ण है। प्लेटफॉर्म 12 से शिवगंगा एक्सप्रेस के रवाना होने (लगभग 8:15 बजे) के बाद फुटओवर ब्रिज नंबर 2 और 3 पर भीड़ जमा हो गई। आरपीएफ के अधिकारी भीड़ को हटाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन लगभग 8:45 बजे प्रयागराज जाने वाली कुंभ स्पेशल ट्रेन के प्लेटफॉर्म 12 से रवाना होने की घोषणा की गई। इसके बाद दूसरी घोषणा में कहा गया कि ट्रेन प्लेटफॉर्म 16 से रवाना होगी, जिससे यात्रियों में भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। आरपीएफ रिपोर्ट के इस महत्वपूर्ण तथ्य से पता चलता है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को दी जा रही सूचना सही नहीं थी और इसके लिए रेलवे का अपना सिस्टम कई स्तर पर जिम्मेदार हो सकता है।
आरपीएफ के पास नई दिल्ली स्टेशन पर भीड़ को संभालने के लिए 270 कर्मियों की टीम है, लेकिन उनमें से सिर्फ 80 ही ड्यूटी पर थे, क्योंकि बाकी को प्रयागराज में भीड़ संभालने के लिए भेज दिया गया है। भगदड़ के दौरान घायल आरपीएफ के पांच लोग अभी भी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। जो लोग बच गए हैं, वे अभी भी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उमड़ रही भीड़ को संभालने की कोशिश कर रहे हैं। प्रयागराज और अयोध्या जाने वाले यात्रियों की संख्या अभी भी काफी है।
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भगदड़ हुए मंगलवार को तीसरा दिन है। अभी तक रेलवे ने यह जानकारी नहीं दी है कि क्या स्टेशन पर भीड़ संभालने के लिए उसका अपना भी कोई सिस्टम होता है या फिर उसकी ड्यूटी सिर्फ ट्रेनों की आवाजाही, टिकट बेचने और एनाउंसमेंट तक है। क्योंकि त्यौहारों के मौके पर अगर भीड़ को संभालने की जिम्मेदारी सिर्फ आरपीएफ और जीआरपी की है तो यह नामुमकिन है। क्योंकि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन और आनंद विहार से सबसे ज्यादा ट्रेनों और यात्रियों की आवाजाही है। तमाम प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि 15 फरवरी को सिर्फ नई दिल्ली स्टेशन पर ही भीड़ नहीं थी, बल्कि उस दिन आनंद विहार पर भी काफी भीड़ थी। वहां की भी व्यवस्था ढुलमुल थी।
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)
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क़मर वहीद नक़वी
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