हेलीकॉप्टर दुर्घटना में पहले चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टॉफ़ रहे जनरल बिपिन रावत के निधन से पूरा देश, तीनों सेनाएँ और संसद स्तब्ध है और श्रद्धाँजलि ना केवल देश भर से बल्कि दुनिया के बहुत से दूसरे देशों से भी आई। लेकिन जैसे जिंदगी का दस्तूर है कि 'शो मस्ट गो ऑन' और खासतौर से सेना तो हमेशा सक्रिय रहती है, इसलिए उनकी मौत की ख़बर के बाद जनरल रावत के बाद कौन यह ज़िम्मेदारी संभालेगा, इस पर चर्चा शुरू हो गई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार की शाम हुई बैठक में नए सीडीएस पर सलाह मशविरा किया गया।
सूत्रों की बात मानें तो वरिष्ठता के हिसाब से सेना प्रमुख एम. एम. नरवणे की दावेदारी सबसे प्रमुख मानी जा रही है। वैसे नौ सेना और वायु सेना के प्रमुख भी यह जिम्मेदारी संभाल सकते हैं।
सीडीएस की नियुक्ति
केवल वरिष्ठता ही इस फ़ैसले का निर्णय नहीं करता और सरकार इस पर तमाम चीज़ों को ध्यान में रखकर नए सीडीएस की नियुक्ति कर सकती है। जनरल नरवणे अगले साल अप्रैल में सेना प्रमुख के पद से रिटायर होंगे।
नियमों के मुताबिक़, चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टॉफ़ कोई सेना अधिकारी पर 65 साल की उम्र तक सेवा दे सकता है। वहीं तीनों सेना प्रमुख का कार्यकाल 62 साल की उम्र तक या फिर तीन साल की अवधि में जो भी पहले हो , तक हो सकता है।
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सेना के आला अफ़सरों का कहना है कि सीडीएस भले ही सेना के संचालन में सीधे हिस्सा नहीं लेते और ना ही कोई सीधे आदेश दे सकते हैं ,लेकिन फिर भी इस पद को एक दिन भी खाली नहीं रखा जा सकता। इसलिए जनरल रावत के बाद यह ज़िम्मेदारी उनसे अगले अधिकारी एअर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण को मिल गई है। अब नए सीडीएस की नियुक्ति तक वे ही इस पद से जुड़े सभी फ़ैसले लेंगे।
सैन्य सलाहकार
जनरल रावत जब चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टॉफ़ बने, उस वक़्त वे स्टॉफ़ कमेटी के प्रमुखों के अध्यक्ष थे, सैन्य मामलों के विभाग के प्रमख और साथ ही रक्षा मंत्री के सैन्य सलाहकार भी थे।
सेना में सीडीएस बनाने की ज़रूरत अरसे से महसूस हो रही थी।
युद्ध जैसी आपातकाल की स्थिति में तीनों सेनाओं की कमान अगर एक संस्था व्यक्ति के पास होगी तो तीनों अंगों में बेहतर तालमेल हो सकेगा। इसके लिए इंटिग्रेटेड थियेटर कमांड बनाने की बात हुई।
इंटीग्रेटेड थियेटर कमांड
अभी थल सेना के पास तीन थियेटर कमांड, नौ सेना के पास एक कमांड और वायुसेना के पास एक अलग एयरफोर्स कमांड होगी। ये अभी मौजूद 17 कमांड के अलावा होंगें। फिर इन सबको साथ लाने के लिए इंटीग्रेटेड थियेटर कमांड की योजना पर काम चल रहा है।
एक नवम्बर को जनरल रावत की अध्यक्षता में तीनों सेनाओं के प्रमुखों और दूसरे आला अफसरों के साथ बैठक हुई थी। कमांड के बुनियादी ढाँचे और संरचना पर सेना में कुछ अंदरूनी मतभेद सामने आए थे। इसके बाद थियेटर कमांड के गठन पर और अध्ययन करने के बाद अगले साल अप्रैल तक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था।
इससे पहले सुरक्षा पर बनी मंत्रिमंडलीय समिति यानी सीसीएस में भी थियेटर कमांड के ड्रॉफ्ट नोट पर सहमति नहीं बन पाई थी। इसी साल जून में हुई इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी।
सेना का आधुनिकीकरण
जनरल रावत के आने के बाद से सेना के आधुनिकीकरण और अपग्रेड करने पर तेज़ी से काम शुरू हुआ है। इस पर विशेषज्ञों की एक टीम काम कर रही है। यह टीम हमारी सैन्य शक्ति, संभावित दुश्मनों और हमलों से निपटने की ज़रूरतों के साथ साथ दुनिया भर की सेनाओं के आधुनिकीकरण पर भी नज़र रखती है।
इसी के साथ बेहतर हथियारों की खरीद और एडवांस सर्विलांस सिस्टम को लेकर भी काम तेज़ी से चल रहा है। जनरल रावत टौंकों को बदलने के प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहे थे और हाल ही में उन्होंने कहा था कि हमें अपनी साइबर क्षमताओं को और विकसित करने पर फोकस करना होगा क्योंकि हमारे दुश्मन तेजी से इस पर आगे बढ़ रहे हैं और अब युद्ध लंबे समय तक चलने वाले नहीं होंगे यानी तकनीक का असर युद्ध में जीत तय करेगा।
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