हरिद्वार में चल रही कांवड़ यात्रा के मार्ग पर स्थित दो मसजिदों और एक मजार को शुक्रवार की सुबह बड़ी सफेद चादरों का इस्तेमाल करके छिपा दिया गया था। शाम तक, जिला प्रशासन ने चादरें हटवा दीं। पुलिस ने कहा कि जो हुआ वह एक गलती थी।
हरिद्वार प्रशासन ने दावा किया कि उन्होंने चादरें लगाने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया है। जबकि हरिद्वार जिले के प्रभारी मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह उपाय किसी भी अशांति को रोकने और कांवड़ यात्रा ठीक से चलती रहे, इसके लिए किया गया था। बहरहाल, यह एक तथ्य है कि मुसलमानों के धार्मिक स्थलों को चादर से ढंक दिया गया था।
हरिद्वार में यात्रा मार्ग शहर के ज्वालापुर क्षेत्र से होकर गुजरता है, जहां मसजिदें और मजार स्थित हैं। हरिद्वार के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब मसजिदों और मजारों को चादर से छिपाया गया। ताकि कांवड़ियों की नजर उन पर न पड़े।
मंत्री सतपाल महाराज ने कहा- “ऐसा इसलिए है ताकि कोई आंदोलन न हो और कोई भड़क न जाए। इस बात का ध्यान रखा गया कि हमारी कांवड़ यात्रा सुचारू रूप से चले. जब किसी इमारत का निर्माण होता है, तो उसको भी कवर किया जाता है... हमने यहां (वही) किया है और देखेंगे कि क्या प्रतिक्रिया होती है। हम उसका अध्ययन करेंगे।”
हालाँकि, हरिद्वार के पुलिस अधीक्षक (शहर) स्वतंत्र कुमार ने मीडिया को बताया कि ऐसा करने का कोई आदेश नहीं था। न तो जिला प्रशासन और न ही पुलिस की ओर से। उनके पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि ऐसा फिर कैसे हुआ। एसपी ने कहा- “हमने संबंधित पक्ष (मुस्लिमों) से भी बात की है और कवर हटा दिए हैं। हमने स्थानीय लोगों से भी बात की है। यात्रा मार्ग पर बैरिकेड्स लगाए जा रहे थे, उसी में कोई गलती हुई होगी, जिसके कारण कवर लगाए गए। यह जानबूझकर नहीं था।”
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा- "हरिद्वार जिले में कांवड़ यात्रा मार्ग पर मसजिदों और मजारों पर पर्दे लगाने का आदेश, चाहे जिसने भी इसे जारी किया हो, सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ है जिसने उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें मार्ग पर होटल और रेस्तरां मालिकों और फल विक्रेताओं से कहा गया था अपना नाम, जाति और धार्मिक पहचान प्रदर्शित करें।” उत्तराखंड के अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी इसकी निन्दा करते हुए कहा कि मसजिदों और मजारों को कवर करना सुप्रीम कोर्ट की मानहानि है।
अपनी राय बतायें