गुजरात के मोरबी में हुए हादसे को लेकर ओरेवा कंपनी के मैनेजर्स में से एक दीपक पारेख ने एक स्थानीय अदालत से कहा है कि यह भगवान की इच्छा थी कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मैनेजर ने यह बात चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट और एडिशनल सीनियर सिविल जज एमजे खान की अदालत से कही।
दीपक पारेख ओरेवा कंपनी के उन 9 लोगों में शामिल हैं जिन्हें इस सस्पेंशन ब्रिज के गिरने के बाद गिरफ्तार किया गया है। पारेख ने अदालत से कहा, “कंपनी के प्रबंध निदेशक से लेकर नीचे स्तर के कर्मचारियों तक सभी ने बहुत मेहनत की, लेकिन यह भगवान की इच्छा थी कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।”
दीपक पारेख ने अदालत से कहा कि वह कंपनी में मीडिया मैनेजर के पद पर थे और उन्होंने ग्राफिक डिजाइन का काम किया था।
केबल में लगी थी जंग
इस मामले में मोरबी के डीएसपी पीए जाला ने स्थानीय अदालत को बताया सस्पेंशन ब्रिज की केबल में जंग लगी हुई थी और अगर इसकी केबल की मरम्मत कर दी गई होती तो यह हादसा नहीं हुआ होता।
मोरबी जिले में रविवार शाम को हुए इस हादसे में अब तक कम से कम 140 लोगों की मौत हो चुकी है और 150 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। इसके कई वीडियो भी सामने आए हैं जिसमें लोगों को पुल के गिरने के बाद मदद के लिए चिल्लाते हुए देखा जा सकता है। इस मामले की जांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी कर रही है। पुलिस ने सोमवार को इस मामले में नौ लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज किया था।
बिना अनुमति के खोल दिया
डीएसपी पीए जाला ने अदालत से कहा कि लोगों की क्षमता को निर्धारित किए बिना और सरकार की अनुमति के बिना ही इस पुल को 26 अक्टूबर को खोल दिया गया। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उन्होंने अदालत को बताया कि किसी भी तरह के जीवन रक्षक उपकरण या लाइफगार्ड वगैरह भी नहीं लगाए गए थे जबकि पुल की मरम्मत के रूप में केवल प्लेटफार्म को बदला गया था। उन्होंने अदालत से कहा कि इस मामले में आई फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री यानी एफएसएल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा कुछ और काम पुल में नहीं किया गया था।
जाला ने अदालत को बताया कि यह सस्पेंशन ब्रिज एक केबल पर टिका था और इसकी कोई ऑयलिंग या ग्रीसिंग नहीं की गई थी, जहां से यह केबल टूटी है, वहां पर इसमें जंग लगा हुआ था और अगर केबल की मरम्मत कर दी गई होती तो यह हादसा नहीं हुआ होता।
उन्होंने अदालत को बताया कि इस बात का भी कोई लिखित दस्तावेज नहीं है कि पुल में क्या काम किया गया और यह कैसे किया गया।
इस मामले में सरकारी वकील एचएस पांचाल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अब तक हुई जांच से यह सामने आया है कि सस्पेंशन ब्रिज का काम जिन ठेकेदारों को दिया गया था वे क्वालीफाइड इंजीनियर नहीं थे।
इस मामले में जिन 4 लोगों की रिमांड अदालत से मांगी गई है उनके वकील जीके रावल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पुल की सुरक्षा के संबंध में दीपक पारेख का कोई रोल नहीं था। रावल ने अदालत से कहा कि केवल ठेकेदार ही इस पुल में की गई वेल्डिंग, इलेक्ट्रिक फिटिंग के काम के लिए जिम्मेदार हैं और उन्हें जो सामान मिला उन्होंने उसी को मरम्मत के काम में लगाया।
So it was the Will of God,
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) November 2, 2022
- that the contractor did not repair/replace the rusted cable
-the contractors were not qualified engineers
-one of the managers overseeing the bridge contract was not an engineer but a media manager in the company
This is wilful fraud not will of god pic.twitter.com/3aZgg0Luoy
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