लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार कर चीनी सेना के भारत में घुस आने के 5 महीने बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार इस पर अपनी ही जनता से जानकारियाँ छिपाने की नीति पर चल रही है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के आर-पार दोनों ओर से हज़ारों सैनिकों की तैनाती के बावजूद केंद्र सरकार सच नहीं बोल रही है।
इसे इससे समझा जा सकता है कि रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट से 2017 के बाद से अब तक की तमाम चीनी घुसपैठ की जानकारियों को हटा दिया है। ये जानकारियाँ मासिक रिपोर्ट के रूप में डाली गई थीं, पर वे अब वहां नहीं हैं, हटाई जा चुकी हैं।
मामला क्या है?
इंडियन एक्सप्रेस ने एक ख़बर में यह जानकारी देते हुए कहा है कि उसने इस पर रक्षा मंत्रालय से सवाल पूछे हैं, पर जवाब अब तक नहीं मिले हैं। सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय सिलसिलेवार ढंग से रिपोर्ट देने के बजाय अब उन्हें समग्र रूप में प्रकाशित करेगी। हर रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों से हरी झंडी मिलने के बाद ही वेबसाइट पर डाली जाती है।
रक्षा मंत्रालय 2017 के बाद से अब तक हर महीने रिपोर्ट डाला करता था। पर जून 2020 की रिपोर्ट को अगस्त में हटा दिया गया, उसके बाद से कोई रिपोर्ट नहीं डाली गई।
सरकार की किरकिरी
इस मुद्दे पर पहले भी सरकार की किरकिरी हो चुकी है। सरकार ने गलवान घाटी में हुई घुसपैठ की रिपोर्ट पहले डाली थी, पर बाद में उसे हटा दिया था।
पहले की रिपोर्ट में कहा गया था, 'वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी में चीनी आक्रमण बढ़ता जा रहा है, ख़ास कर 5 मई, 2020 के बाद यह बहुत ही बढ़ गया जब चीनी पक्ष ने कुगरांग नाला, गोगरा और पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर 17-18 मई 2020 को घुसपैठ की थी।'
वेबसाइट पर जानकारी नहीं
रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर इस समय जो सामग्री मौजूद है, उसमें 2019 से अब तक सिर्फ चार बार चीन का नाम लिया गया है। 13-14 अगस्त 2019 को साझा सैन्य अभ्यास, 7-20 दिसंबर 2019 को मेघालय में दोनों सेनाओं के 'हैंड-इन-हैंड' अभ्यास की बात भी कही गई है।
इसके अलावा यह कहा गया है कि चीनी नौसेना का जहाज जियिंगवेई-2 को पोरबंदर के पास देखा गया था। इसके बाद मार्च 2020 में सीमा सड़क संगठन की ओर से बेली ब्रिज बनाने की बात भी कही गई है।
यानी अब वेबसाइट पर आपको मौजूदा चीनी घुसपैठ की कोई जानकारी नहीं मिलेगी। जो थोड़ी बहुत जानकारी थी, हटा दी गई है।
रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर अब न तो चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी की ओर से होने वाली गलवान घुसपैठ की चर्चा है, न ही पैंगोंग त्सो में हुई घुसपैठ की। न तो एलएसी के पार 40 हज़ार चीनी सैनिकों के जमावड़े की जानकारी है, न ही चीनी सेना के साजो सामान के पहुँचने की बात है।
सवाल यह है कि आखिर सरकार क्या और क्यों छिपाना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में कह दिया था कि 'भारतीय सीमा में न तो कोई घुसा न ही भारतीय सरज़मीन पर कोई बैठा हुआ है।' उसके बाद पार्टी और सरकार के प्रवक्ता लगातार इसी लाइन पर चल रहे हैं। और तो और, सरकार के मंत्रियों ने संसद में आधिकारिक बयानों में भी इस पर गोलमटोल जवाब ही दिया।
यह सब तब हो रहा है जब भारत और चीन की सेना के बीच 6 बार बातचीत हो चुकी है, सातवीं बैठक की तैयारियां चल रही है। राजनयिक व राजनीतिक स्तरों पर भी बात हो चुकी है। मजे की बात यह है कि सरकार इन बातचीत से इनकार नहीं करती है। फिर सवाल उठता है कि आखिर बातचीत हो किस मुद्दे पर रही है?
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