माइक्रोसॉफ्ट ने चेतावनी दी है कि चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई द्वारा जनित कंटेट का इस्तेमाल करके भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण कोरिया में आगामी चुनावों पर प्रभाव डाल सकता है।
यह चेतावनी तब आई है जब चीन ने ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान नतीजों को प्रभावित करने के लिए एआई का प्रयोग कर परीक्षण किया था।
पिछले महीने, माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और प्रसिद्ध उद्योगपति बिल गेट्स ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। अपनी मुलाकात में उन्होंने सामाजिक समस्याओं , महिलाओं के विकास, स्वास्थ्य और कृषि के क्षेत्र में इनोवेशन एआई के उपयोग पर चर्चा की थी।
भारत में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में माक्रोसॉफ्ट की ओर से जारी की गई यह चेतावनी बेहद अहम मानी जा रही है। यह चेतावनी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि दुनिया भर में, यूरोपीय संघ के अलावा, कम से कम 64 देशों में राष्ट्रीय चुनाव होने हैं। इन देशों में दुनिया की आबादी का लगभग 49 प्रतिशत हिस्सा रहता है। इस तरह के खतरों की जानकारी एकत्र करने वाली माइक्रोसॉफ्ट की खूफिया टीम के मुताबिक चीन समर्थित साइबर समूहों द्वारा उत्तर कोरिया की मदद से 2024 के लिए निर्धारित कई देशों के चुनावों को लक्षित कर निशाना बनाया जा सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी चेतावनी में कहा है कि ने कहा कि चीन चुनाव वाले इन देशों में आम जनता की राय को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से एआई-जनित सामग्री का प्रयोग कर सकता है। ऐसा कर वह इन चुनावों के दौरान अपना हित साधने की कोशिश कर सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट ने इसको लेकर जारी अपने बयान में कहा है कि इस साल दुनिया भर में, विशेष रूप से भारत, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रीय चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में हमारा आकलन है कि चीन अपने हितों को देखते हुए या अपने लाभ के लिए एआई का इस्तेमाल कर बनाये हुए कंटेंट को बढ़ाएगा।
राजनीतिक विज्ञापनों में एआई तकनीक का उपयोग करके भ्रामक और झूठी सामग्री तैयार करना हो या फिर डीपफेक बना कर झूठी और भ्रामक जानकारी फैलाना हो इसका खतरा लगातार बढ़ रहा है। डीप फेक के जरिए ऐसी घटनाएं दिखाई जा सकती हैं जो कि कभी हुई ही नहीं हैं।
इस तरह की एआई तकनीक का इस्तेमाल कर उम्मीदवारों के बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा सकता है। विभिन्न मुद्दों पर उनके विचार बनाए या बदले जा सकते हैं। कुछ घटनाओं की प्रामाणिकता के बारे में जनता को गुमराह किया जा सकता है। अगर इस तरह की तकनीक का गलत इस्तेमाल चुनाव में होने लगा तो मतदाताओं में निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होगी और वे इससे प्रभावित हो सकते हैं।
माइक्रोसॉफ्ट ने चेतावनी दी कि एआई तकनीक के साथ चीन का बढ़ता प्रयोग समय के साथ संभावित रूप से अधिक प्रभावी हो सकता है।
माक्रोसॉफ्ट ने कहा है कि ताइवान के चुनाव को प्रभावित करने के चीन के पिछले प्रयास में एआई द्वारा तैयार की गई गलत सूचनाओं का प्रसार शामिल था। जो किसी राज्य समर्थित इकाई द्वारा विदेशी चुनाव में इस तरह की रणनीति बना कर हस्तक्षेप करने का पहला उदाहरण है।
माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि ताइवान में हुए चुनाव के दौरान चीन की राजधानी बीजिंग समर्थित एक समूह, जिसे स्टॉर्म 1376 या स्पैमौफ्लेज के नाम से जाना जाता है, विशेष रूप से सक्रिय था। इस समूह ने नकली आवाज और मीम्स सहित एआई-जनित कंटेट प्रसारित किया था जिसका मकसद कुछ उम्मीदवारों को बदनाम करना और मतदाताओं की धारणाओं को प्रभावित करना था। एआई का इस्तेमाल कर निर्मित टीवी समाचार एंकरों का उपयोग, ईरान द्वारा भी अपनाई गई एक रणनीति रही है।
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