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अखिलेश यादव की फाइल फोटो

सपा उम्मीदवार का खजुराहो से नामांकन हुआ निरस्त, उठे दर्जनों सवाल

भोपाल। मध्य प्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट पर इंडिया गठबंधन वोटिंग के पहले ही चुनावी दौड़ से बाहर गया है। कांग्रेस ने इस सीट को अपने सहयोगी दल समाजवादी पार्टी के लिए छोड़ा था। सपा ने यहां से पूर्व विधायक मीरा दीपनारायण यादव को टिकट दिया था। 
मीरा यादव उन दीपनारायण यादव की धर्मपत्नी हैं, जो यूपी से दो बार विधायक रह चुके हैं और सपा सरकार में जिनकी तूती बोला करती थी।
बता दें, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन वाली खजुराहो सीट से सपा ने पहले डॉक्टर मनोज यादव को टिकट दिया था। वे चुनाव की तैयारियों में जुट चुके थे। नामांकन दाखिल करते इसके पहले सपा ने प्रत्याशी को बदलकर मीरा दीपनारायण सिंह यादव को चुनावी मैदान में उतार दिया था। सपा ने बेलैंस करने के लिए मनोज यादव को सपा की मध्यप्रदेश इकाई का अध्यक्ष बना दिया था।
सपा ने भले ही बेलैंस किया हो, लेकिन आज गाड़ी पटरी से उतर गई। मीरा यादव का नाम नामांकन पत्र फार्म में त्रुटियों की वजह से खारिज कर दिया गया है। 
यह भी बता दें कि मीरा यादव मध्य प्रदेश की निवाड़ी सीट से 2008 में सपा के टिकट पर विधायक चुनी गई थीं। उन्हें बाद में भी सपा ने टिकट दिया, लेकिन वे चुनाव हार गईं थीं।
उधर उनके पति दीप नारायण यादव उत्तर प्रदेश की गरोठा सीट से दो बार सपा के टिकिट पर विधायक रहे हैं। दीप नारायण की उम्र 55 वर्ष हैं। उन्होंने 1986 में छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक जीवन का आगाज किया था। यूपी में कम उम्र में बीकेडी कॉलेज छात्र संघ चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की थी।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की नज़र जब उन पर पड़ी थी तो वे अपने साथ ले आये थे। 
दीप नारायण यादव को 1996 में यूपी लोहिया वाहिनी का अध्यक्ष बनाया गया था। 1998 में मध्य प्रदेश के निवाड़ी सीट से दीप नारायण यादव ने चुनाव लड़ा लेकिन हार गए थे। 2003 में लोहिया वाहिनी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। वे सपा की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी रहे।  
दीप नारायण यादव 2007 के विधानसभा चुनाव में पहली बार यूपी के गरौठा से विधायक चुने गए थे। उसके बाद 2012 में दीप नारायण यादव गरौठा सीट से ही समाजवादी पार्टी के टिकट पर पुनः निर्वाचित हुए।
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अखिलेश ने कहा, यह सरेआम लोकतंत्र की हत्या है

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मीरा यादव का नामिनेशन फार्म निरस्त होने के बाद सोशल मीडिया पर लिखा है, कि ‘खजुराहो सीट से इंडिया गठबंधन की सपा प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन निरस्त करना सरेआम लोकतंत्र की हत्या है। 

कहा जा रहा है कि फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं थे तो फिर देखनेवाले अधिकारी ने फार्म लिया ही क्यों? ये सब बहाने हैं और हार चुकी भाजपा की हताशा। जो न्यायालय के कैमरे के सामने छल कर सकते हैं, वो फार्म मिलने के बाद पीठ पीछे क्या-क्या साज़िश रचते होंगे। भाजपा बात में ही नहीं काम में भी झूठी है समस्त प्रशासनिक तंत्र को भ्रष्ट बनाने की दोषी भी है। इस घटना की भी न्यायिक जांच हो, किसी का पर्चा निरस्त करना लोकतांत्रिक अपराध है। 

पर्चा निरस्त होने के बाद दीप नारायण यादव ने कहा है, ‘इस मामले को वे हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और मुख्य चुनाव आयुक्त के सामने ले जायेंगे। न्याय की गुहार लगायेंगे। इस घटना के कारण आरोप और प्रत्यारोप के बीच शिकवे-शिकायतों का लिखित दौर भी आरंभ हो गया है।

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भाजपा के लिए जीत हुई आसान 

इस बीच खजुराहो में भाजपा के उम्मीदवार और पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष वीडी शर्मा की जीत का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है। वीडी शर्मा 2019 में पहली बार सांसद बने थे। खजुराहो सीट पर उन्होंने बड़ी जीत दर्ज की थी।
सीट सपा के खाते में जाने के बाद से भाजपा दावा कर रही थी कि,इस सीट पर सबसे बड़ी जीत दर्ज करना भर अब लक्ष्य बचा है। चुनाव हम जीत चुके हैं।सपा उम्मीदवार का नामांकन निरस्त होने के बाद सपा और कांग्रेस की परेशानी बढ़ गई है। 
माना जा रहा है कि अब किसी अन्य उम्मीदवार को इंडिया गठबंधन समर्थन करेगा। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि इंडिया गठबंधन समर्थन भले ही दे, लेकिन हाथ तो पहले ही चुनाव रण में नहीं था और अब साईकिल चुनाव चिन्ह भी मैदान में नहीं रहने वाला है। 
समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी का नामांकन पत्र निरस्त हो जाने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि पति-पत्नी दोनों विधायक रहे हैं। दोनों ने कई चुनाव लड़ा है। इसके बावजूद उनसे चूक कैसे हो गई कि नामांकन ही रद्द हो गया है। 

इस आधार पर नामांकन हुआ रद्द

समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार मीरा दीपनारायण यादव का नामांकन निरस्त होने की दो वजह जिला निर्वाचन अधिकारी (कलेक्टर) ने बताई है। पहला - नामांकन फार्म पर प्रत्याशी के दो जगह हस्ताक्षर होते हैं, जिसमें से एक जगह मीरा यादव ने हस्ताक्षर नहीं किए थे। दूसरा - मतदाता पहचान पत्र की सत्यापित प्रति की जगह पुरानी प्रति दे दी गई थी।

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क़मर वहीद नक़वी
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