कतर में फाँसी की सजा पाए भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है। भारत सरकार ने गुरुवार को कहा है कि क़तर की एक अदालत ने जासूसी के एक कथित मामले में पिछले महीने दी गई मौत की सजा को कम कर दिया है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कतर की अपील अदालत ने दहरा ग्लोबल मामले में मौत की सजा कम कर दी है। हालाँकि, यह अभी तक साफ़ नहीं है कि अदालत ने क्या कहा और सजा कितनी कम की गई है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अदालत के विस्तृत फ़ैसले का इंतज़ार है।
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, 'विस्तृत निर्णय की प्रतीक्षा है। हम अगले कदम पर निर्णय लेने के लिए कानूनी टीम के साथ-साथ परिवार के सदस्यों के साथ भी संपर्क में हैं।'
एमईए ने कहा, 'क़तर में हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी परिवार के सदस्यों के साथ आज अपील अदालत में उपस्थित थे। हम मामले की शुरुआत से ही उनके साथ खड़े हैं और हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम इस मामले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाना जारी रखेंगे। इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय और संवेदनशील प्रकृति के कारण, इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।'
इनकी गिरफ्तारी को कुछ दिनों तक गुप्त रखा गया था। भारतीय दूतावास को भी सितंबर के मध्य में पहली बार इनकी गिरफ्तारी के बारे में बताया गया था।
जानकारी मिलने पर भारतीय दूतावास इनकी मदद को आगे आया था। उसकी कोशिशों के कारण 30 सितंबर को इन्हें अपने परिवार के सदस्यों से थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की अनुमति दी गई थी।
वहीं पहली बार कॉन्सुलर एक्सेस 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के करीब एक महीने बाद मिला था। इसके बाद कतर स्थित भारतीय दूतावास के एक अधिकारी को इनसे मिलने दिया गया। बाद के दिनों में इन लोगों को हर हफ्ते परिवार के सदस्यों को फोन करने की अनुमति मिली थी।
इस महीने की शुरुआत में विदेश मामलों के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि हमारे राजदूत को जेल में बंद सभी आठों लोगों से मिलने के लिए तीन दिसंबर को राजनयिक पहुंच मिल गई। बागची ने कहा था, 'आपने देखा होगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीओपी28 के मौके पर दुबई में कतर के अमीर शेख तमीम निन हमद से मुलाकात की। उनके बीच समग्र द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ अच्छी बातचीत हुई।' हालाँकि प्रधानमंत्री की अमीर के साथ संक्षिप्त मुलाकात की विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने इस मामले को सीधे कतर के शासक के समक्ष उठाया।
अपनी राय बतायें