चीन और पाकिस्तान के साझे बयान में जम्मू-कश्मीर का ज़िक्र किये जाने का भारत ने विरोध किया है और उसकी आलोचना की है। भारत ने कहा है कि वह संदर्भ ही सही नहीं है, क्योंकि लद्दाख समेत केंद्र शासित प्रदेश भारत का अभिन्न और अखंड हिस्सा है।
भारत की यह प्रतिक्रिया पाकिस्तानी प्रधानमंत्री मुहम्मद शहबाज शरीफ द्वारा 4 से 8 जून तक चीन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद आई है। मुलाक़ात के दौरान दोनों देशों ने तथाकथित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे यानी सीपीईसी पर भी चर्चा की, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके में भारत के संप्रभु क्षेत्र से होकर गुजरता है। चीन और पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर सहित लंबित मुद्दों को हल करने के लिए 'एकतरफा कार्रवाई' का विरोध किया था।
भारत ने गुरुवार को कहा कि वह केंद्र शासित प्रदेश का ग़लत तरीक़े से ज़िक्र किए जाने को खारिज करता है। इसने कहा है कि इस मुद्दे पर भारत की स्थिति पहले की तरह ही है और संबंधित पक्षों को अच्छी तरह से यह पता है।
चीन-पाकिस्तान संयुक्त बयान पर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग रहे हैं, हैं और हमेशा रहेंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी अन्य देश को इस पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।
चीन और पाकिस्तान ने 8 जून को दक्षिण एशिया में सभी लंबित मुद्दों के समाधान के लिए किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध किया था।
शरीफ की चार दिवसीय यात्रा के अंत में एक संयुक्त बयान में कहा गया, 'दोनों पक्ष दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के महत्व, सभी लंबित विवादों के समाधान की आवश्यकता और किसी भी एकतरफा कार्रवाई के विरोध पर जोर देते हैं।'
बयान में कहा गया, 'पाकिस्तानी पक्ष ने चीनी पक्ष को जम्मू और कश्मीर की स्थिति के ताज़ा घटनाक्रमों के बारे में जानकारी दी। चीनी पक्ष ने जोर दिया कि जम्मू और कश्मीर विवाद लंबे समय से चला आ रहा है, और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार उचित और शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए'।
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