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ऐसे छात्र जिन्होंने 12वीं कक्षा में फ़िजिक्स, मैथमैटिक्स या कैमिस्ट्री नहीं ली है, वे भी अब इंजीनियरिंग के कोर्सेस में प्रवेश ले सकते हैं। ऑल इंडिया काउंसिल फ़ॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने अपने नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। एआईसीटीई ने 2021-22 से बी.ई. और बी.टेक के कोर्स में प्रवेश लेने के लिए 12वीं कक्षा में मैथमैटिक्स और फिजिक्स को ऑप्शनल यानी वैकल्पिक कर दिया है।
अब तक इंजीनियरिंग के कोर्सेस- बी.ई. और बी.टेक में प्रवेश लेने के लिए 12वीं कक्षा में मैथमैटिक्स और फिजिक्स अनिवार्य विषय थे। इसका मतलब कि जो व्यवस्था अब तक थी, उसे बदल दिया गया है और अब 12वीं कक्षा में अलग-अलग विषय लेने वाले छात्र भी इंजीनियर बन सकते हैं।
एआईसीटीई ने 14 विषयों की सूची जारी की है। अब छात्रों को इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए इनमें से किन्हीं तीन विषय को 12वीं कक्षा में पास करना ज़रूरी होगा। ये विषय फ़िजिक्स, मैथमैटिक्स, कैमिस्ट्री, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, बॉयोलॉजी, इन्फ़ॉर्मैटिक्स प्रैक्टिसेस, बॉयोटेक्नोलॉजी, टेक्निकल वोकेशनल सब्जेक्ट, एग्रीकल्चर, इंजीनियरिंग ग्राफ़िक्स, बिजनेस स्टडीज या एंटरप्रिन्योरशिप हैं।
सामान्य श्रेणी के छात्रों को इंजीनियरिंग के कोर्सेस में प्रवेश लेने के लिए ऊपर दिए गए विषयों में से किन्हीं तीन विषयों में 12वीं कक्षा में कम से कम 45% अंक हासिल करने होंगे जबकि आरक्षित श्रेणी वालों के यह सीमा 40% है।
एआईसीटीई ने कहा है कि सभी विश्वविद्यालय मैथमैटिक्स, फ़िजिक्स, इंजीनियरिंग से जुड़े ब्रिज कोर्स तैयार करेंगे जिससे अलग-अलग विषय पढ़कर आने वाले छात्रों को इन विषयों को समझने में मदद मिल सके।
लेकिन एआईसीटीई के इस फ़ैसले की शिक्षाविदों ने आलोचना की है। सास्त्रा डीम्ड यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एस. वैद्यसुब्रमण्यम ने टीओआई से बातचीत में कहा कि इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए मैथमैटिक्स बुनियाद की तरह है और ऐसे छात्र जो मैथमैटिक्स में कजमोर हैं, ब्रिज कोर्स उनके लिए रैमिडियल कोर्स की तरह है।
उन्होंने कहा कि ब्रिज कोर्स 12वीं कक्षा की मैथमैटिक्स की जगह नहीं ले सकता। कहने का मतलब साफ है कि बच्चों को मैथमैटिक्स उसी तरह पढ़ाई जानी चाहिए, जिस तरह अभी पढ़ाई जाती है, वरना उनके इस विषय में आगे भी कमजोर होने का ख़तरा बना रहेगा।
एस. वैद्यसुब्रमण्यम ने आगे कहा कि इंजीनियरिंग के सभी कोर्सेस के लिए मैथमैटिक्स और फ़िजिक्स को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
मद्रास विश्वविद्यालय में थियोरेटैकिल फ़िजिक्स विभाग की प्रमुख रीता जॉन ने भी टीओआई से कुछ ऐसा ही कहा। उनके मुताबिक़, “मैथमैटिक्स और फ़िजिक्स के बिना साइंस की बुनियादी बातों को समझना मुश्किल है और ऐसे में हमारे भविष्य के इंजीनियर्स सही इंजीनियरिंग नहीं कर पाएंगे और इससे नए आविष्कारों पर बुरा असर पड़ेगा।”
इसी तरह अन्ना विश्वविद्यालय के मैथमैटिक्स विभाग के प्रोफ़ेसर डी. अरिवुदैनांबी ने टीओआई से कहा कि यह एक अच्छा क़दम नहीं है। उन्होंने कहा कि मैथमैटिक्स को बेहतर ढंग से जाने बिना छात्र डाटा साइंस, आर्टिफ़िशल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग जैसे नए विषयों को नहीं समझ सकते।
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