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किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया: मरकज़ निज़ामुद्दीन 

इसलामिक संस्था तबलीगी जमात के निज़ामुद्दीन स्थित मुख्यालय में 13-15 मार्च तक हुए धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए 24 लोगों का टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद मरकज़ निज़ामुद्दीन की ओर से सफाई आई है। मरकज़ ने कहा है कि निज़ामुद्दीन स्थित उसके मुख्यालय में दुनिया भर से लोग आते हैं। मरकज़ ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का आह्वान किया गया था और इसके बाद मरकज़ में चल रहे कार्यक्रम को तुरंत रद्द कर दिया गया था लेकिन 21 मार्च को देश भर में ट्रेनों के रद्द हो जाने के कारण लोग मरकज़ में ही फंसे रह गये। 

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मरकज़ ने कहा है, ‘इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री की ओर से 23 से 31 मार्च तक लॉकडाउन का एलान कर दिया गया और लोग बाहर नहीं जा सके। लेकिन फिर भी तमाम कोशिशों के बाद 1500 लोगों को उनके इलाक़ों की ओर भेजा गया।’ मरकज़ ने कहा, ‘इसके बाद प्रधानमंत्री ने पूरे देश में कंप्लीट लॉकडाउन घोषित कर दिया। 24 मार्च को हज़रत निज़ामुद्दीन पुलिस स्टेशन के एसएचओ की ओर से नोटिस जारी किया गया और मरकज़ की ओर से उसी दिन उसका जवाब दिया गया कि कई लोगों को भेजा जा चुका है और 1000 लोग अभी भी फंसे हुए हैं। इसके अलावा एसडीएम से भी गुजारिश की गई कि वाहन पास इश्यू किये जायें जिससे बचे हुए लोगों को वापस भेजा जा सके।’ मरकज़ ने अपने बयान में कहा है कि 17 गाड़ियों के नंबर, उनकी सूची भी एसडीएम को भेजी गयी लेकिन अभी तक इसकी अनुमति नहीं मिली है। 
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मरकज़ की ओर से कहा गया है, ‘25 मार्च को तहसीलदार मेडिकल टीम के साथ आये और उन्हें पूरा सहयोग दिया गया। 26 मार्च को हमारे लोग जिलाधिकारी से मिले और उन्हें फंसे हुए लोगों के बारे में बताया और एक बार फिर वाहनों को पास दिये जाने की अनुमति मांगी। इसके बाद 27 मार्च को मरकज़ से 6 लोगों को और 28 मार्च को 33 लोगों को मेडिकल चेक-अप के लिये ले जाया गया।’ 

मरकज़ ने कहा कि 30 मार्च को सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैल गयी कि मरकज़ में कोरोना वायरस से संक्रमित लोग रुके हुए हैं और कुछ लोगों की मौत हो गयी है। मरकज़ का कहना है कि उसने किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है और अपने 100 सालों के इतिहास में हमेशा नियमों का पालन किया है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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