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प्रतीकात्मक तस्वीर

मणिपुर पुलिस ने असम राइफल्स के जवानों के खिलाफ दर्ज की एफआईआर 

मणिपुर पुलिस ने केंद्रीय अर्धसैनिक बल असम राइफल्स के जवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। प्राप्त सूचना के मुताबिक यह एफआईआर पांच अगस्त को ही दर्ज की गई है। मणिपुर पुलिस का आरोप है कि असम राइफल्स के जवानों ने राज्य पुलिस को पिछले दिनों हिंंसा प्रभावित बिष्णुपुर जिले में तीन लोगों की हत्या में शामिल लोगों को गिरफ्तार करने से रोका था। मिली जानकारी के मुताबिक असम राइफल्स को विष्णुपुर जिले से मंगलवार को ही हटाया गया है। असम राइफल्स को यहां से हटाए जाने के कुछ ही घंटों बाद, यह मामला सामने आया है। 
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर पुलिस और असम राइफल्स कर्मियों के बीच कथित गतिरोध के वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के कुछ घंटों बाद 5 अगस्त को मामला दर्ज किया गया था। वीडियो में मणिपुर पुलिस कमांडो संदिग्ध उग्रवादियों का पीछा करते समय असम राइफल्स के जवानों पर उनके ऑपरेशन में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए बहस करते नजर आ रहे हैं। 

रिपोर्ट कहती है कि बिष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई थाने के प्रभारी अधिकारी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया है कि  "फोलजंग रोड के किनारे क्वाक्टा वार्ड 8 में स्थित कुतुब वाली मस्जिद पर पहुंचने पर, राज्य पुलिस की टीमों को रोक दिया गया।  9 असम राइफल्स के जवानों ने अपने कैस्पर वाहन को क्वाक्टा फोलजांग रोड के बीच में पार्क करके उनका रास्ता रोक दिया। जिससे उनके कानून से बंधे कर्तव्य के निर्वहन में बाधा उत्पन्न हुई।  

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ट्राइबल नेताओं की गृहमंत्री के साथ बैठक टली 

मणिपुर के आदिवासी संगठन इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ( आईटीएलएफ ) के एक प्रतिनिधि मंडल की मुलाकात मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ होने वाली थी। लेकिन गृहमंत्री लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए मौजूद थे। जिसके कारण वे उनसे मिल नहीं पाए। अब अगली मुलाकात कब होगी, ये अभी तय नहीं है। प्राप्त सूचना के मुताबिक इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के इस प्रतिनिधिमंडल ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक एके मिश्रा से मुलाकात की है और अपनी मांगो के बारे में उन्हें जानकारी दी है। 

इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम की यह है पांच मांगे

मणिपुर के आदिवासियों के संगठन आईटीएलएफ की अगर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात होती है तो वह उनके समक्ष अपनी मांगों के रख सकता है। प्राप्त सूचना के मुताबिक आईटीएलएफ की पांच प्रमुख मांगे हैं। 
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इसमें अलग प्रशासनिक व्यवस्था और चुराचांदपुर में कुकी-जो समुदाय के मृतकों को सामूहिक रूप से दफनाने की मंजूरी देने की मांग शामिल हैं।आईटीएलएफ के सचिव मुआन तोम्बिंग ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि हमारी मांग है कि हमारा प्रशासन मणिपुर से पूरी तरह अलग कर दिया जाए। कुकी-जो समुदाय के मृतकों को दफनाने में काफी देरी हो गई है। उनके शवों को फिलहाल इंफाल में ही रखा गया है। इन सभी शवों को चुराचांदपुर लाना चाहिए।  
मुआन तोम्बिंग ने कहा कि हमारी मांग है, चुराचांदपुर में दफनाने की जगह एस बोलजांग को कानूनी रूप दिया जाना चाहिए। साथ ही कुकी-जो समुदाय के लोगों की सुरक्षा के लिहाज से मैतेई फोर्स को पहाड़ी जिलों में तैनात नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की है कि इंफाल जेल में बंद कुकी-जो समुदाय के कैदियों को अन्य राज्यों में भेजा जाए। 

3 मई से ही जारी है मणिपुर में हिंसा 

राज्य में 3 मई से जारी हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। बड़ी संख्या में विस्थापित लोग शरणार्थी शिवरों में रहने के लिए मजबूर हैं। मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए विभिन्न स्तरों से प्रयास किए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट खुद मणिपुर में हिंसा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सक्रिय है और कई अहम निर्देश दे चुका है। मणिपुर में दो महिलाओं को नंगा कर घुमाने का वीडियो पिछले महीने ही सामने आ चुका है। इस वीडियो के सामने आने के बाद देश भर में लोगों का गुस्सा और आक्रोश देखने को मिला था। इसके बाद राज्य में हिंसा रोकने, वारदातों की तेजी से जांच और अपराधियों की गिरफ्तारियों के लिए देश भर से आवाजें उठने लगी थी।  

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क़मर वहीद नक़वी
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