loader
नूंह में बुलडोजर एक्शन का फाइल फोटो।

यूएन मानवाधिकार काउंसिल में मणिपुर और नूंह हिंसा की गूंज

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 54वां सत्र सोमवार को शुरू हुआ। द वॉयर की रिपोर्ट के मुताबिक सत्र की शुरुआत में यूएन ह्यूमन राइट्स प्रमुख वोल्कर तुर्क ने हरियाणा के नूंह और मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भारत को सभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कायम रखने के लिए "दोगुना कोशिश" करनी होगी। वोल्कर तुर्क ने पाकिस्तान और भारत से लेकर पेरू तक दुनिया भर में मानवाधिकार की स्थिति पर जानकारी दी।

भारत के हालात पर यूएन मानवाधिकार कमिश्नर ने कहा कि उनके दफ्तर को "अक्सर भारत से ऐसी जानकारी मिलती है कि हाशिए पर रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय हिंसा और भेदभाव का शिकार हो रहे हैं"। उन्होंने कहा कि "मुसलमान अक्सर ऐसे हमलों का निशाना बन रहे हैं। हाल ही में उत्तरी भारत के हरियाणा और गुड़गांव में" ऐसा हुआ। यहां यह बताना जरूरी है कि गुड़गांव भी हरियाणा का हिस्सा है और नूंह भी हरियाणा का हिस्सा है।
ताजा ख़बरें
नूंह में पिछले महीने विश्व हिंदू परिषद के धार्मिक जुलूस के दौरान हिंसा भड़की। इसके बाद आसपास के गुड़गांव, फरीदाबाद, पलवल में में दंगे फैल गए थे। गुड़गांव में दो धार्मिक स्थलों को जला दिया गया, धर्मस्थल के अंदर घुसकर एक धार्मिक गुरु की हत्या भीड़ ने कर दी। फरीदाबाद और पलवल में धार्मिक स्थलों पर असामाजिक तत्वों ने तोड़फोड़ की। एक हफ्ते से अधिक समय तक चली हिंसा में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और 200 लोगों के घायल होने की खबर है।
द वॉयर के मुताबिक यूएन मानवाधिकार प्रमुख तुर्क ने पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर का भी जिक्र किया, जहां पिछले चार महीनों से जातीय हिंसा का कोई अंत नहीं दिख रहा है। "मणिपुर में तमाम समुदाय भी मई से हिंसा और असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।" खबरों के मुताबिक, 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 70,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं। एडिटर्स गिल्ड की एक टीम ने जब वहां की असलियत बताई तो सरकार ने चार सदस्यों के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज करा दी।
अपने भाषण के अंत में उन्होंने भारत से कहा कि "असहिष्णुता, नफरती भाषण (हेट स्पीच), धार्मिक भेदभाव से स्पष्ट तरीके से निपटकर, सभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए काफी मेहनत करने की स्पष्ट आवश्यकता" है।
देश से और खबरें
तुर्क ने पाकिस्तान का भी जिक्र किया। उन्होंने चिंता जताई कि पाकिस्तान सरकार अपने ईशनिंदा कानूनों में बदलाव पर विचार कर रही है। इस कानून के पारित होने से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और बढ़ जाएंगे। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने इस कानून पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। उन्होंने हजारों लोगों की एक बड़ी भीड़ द्वारा फैसलाबाद में दर्जनों चर्चों और ईसाई गुंबदों की तोड़फोड़ की घटना को भी उठाया।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें