बंगाल हिंसा पर बीजेपी की जांच टीम ने कहा है कि सीएम ममता बनर्जी के नेतृत्व में बंगाल माफिया के शिकंजे में है। यह रिपोर्ट बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को सौंप दी गई है। ममता बनर्जी ने रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया है। पश्चिम बंगाल के बीर भूम जिले में हिंसा की घटनाएं हुई थीं। जिसमें एक ही समुदाय के 8 लोगों को जिन्दा जला दिया गया था। इसके बाद बीजेपी की एक जांच टीम वहां दौरा करने गई थी। बीजेपी की जांच टीम ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था चरमरा गई है।
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बीजेपी की रिपोर्ट में टीएमसी नेताओं पर खुलेआम रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि बगतुई गांव में हत्याएं राज्य प्रायोजित जबरन वसूली, गुंडा टैक्स, कट-मनी और टोलाबाजी का नतीजा थीं। विभिन्न गुटों के बीच रिश्वत की रकम को लेकर होड़बाजी भी एक और वजह थी।बीजेपी की जांच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि स्थानीय निवासियों ने अपने जीवन और संपत्ति के खतरे के डर से अपने घरों को छोड़ दिया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग जैसी संस्थाओं को गांव का दौरा करने और ग्रामीणों को वापस लाने के लिए विश्वास बहाली के उपाय करने की सिफारिश की गई है।
रामपुरहाट शहर के पास बोगतुई गांव में 22 मार्च को छह महिलाओं और दो बच्चों को उनके घरों में बंद कर दिया गया था और उन्हें जिंदा जला दिया गया था। तृणमूल कांग्रेस के एक स्थानीय नेता भादू शेख के बम हमले में मारे जाने के बाद इस घटना को बदले की कार्रवाई माना जा रहा है। इस घटना के एक दिन बाद वहां जले हुए शव मिले, जिनमें से ज्यादातर एक ही परिवार के थे।
बीजेपी टीम का आरोप है कि ममता बनर्जी ने गांव का दौरा करने का फैसला तब किया जब बीजेपी की टीम कोलकाता पहुंच चुकी थी। मुख्यमंत्री के जबरन दौरे के कारण, टीम को तृणमूल के गुंडों ने रोक दिया, जो जांच टीम पर हमला करने पर आमादा थे।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि टीम जब वहां पहुंची तो एक भी अधिकारी या कांस्टेबल दिखाई नहीं दे रहा था। टीम के लोगों पर जब हमला किया गया तो कोई भी फैक्ट फाइंडिंग टीम के बचाव में नहीं आया। सीनियर पुलिस अफसरों से संपर्क करने का प्रयास नाकाम रहा।
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ममता बनर्जी ने बीजेपी टीम की रिपोर्ट की निंदा की और कहा कि इस तरह की रिपोर्टों ने जांच में बाधा डाली और उन्हें पटरी से उतार दिया। ये राजनीति से प्रेरित रिपोर्ट हैं। मैं बीजेपी और केंद्र सरकार के इस रवैये की निंदा करती हूं। जब जांच चल रही हो, तो किसी भी पार्टी से कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। यह सत्ता का पूर्ण दुरुपयोग है। यह बुरा, प्रतिशोधी और पक्षपातपूर्ण रवैया है। क्या बीजेपी को लगता है कि वे ही इस देश में हमेशा रहेंगे।
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