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'एक देश एक चुनाव' संविधान के मूल ढाँचे को नष्ट करने की साजिश: ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को विवादास्पद 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार को खारिज कर दिया है। उन्होंने इसे संविधान की मूल संरचना को ख़त्म करने की साज़िश क़रार दिया। उन्होंने 'एक देश एक चुनाव' को निरंकुशता को लोकतांत्रिक जामा पहनाने वाली प्रणाली करार दिया। ममता ने कहा कि मैं निरंकुशता के खिलाफ हूं और इसलिए, आपके इस डिजाइन के खिलाफ हूँ।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने गुरुवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय समिति के सचिव डॉ. नितिन चंद्रा को एक पत्र लिखकर अपनी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, 'मुझे डर है कि भारतीय संवैधानिक व्यवस्था की बुनियादी संरचना को ख़त्म करने की साज़िश का उद्देश्य हमारी राजनीति को राष्ट्रपति प्रणाली में बदलना है।' 

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उन्होंने पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल उठाया। ममता बनर्जी ने 'एक देश एक चुनाव' के अर्थ से लेकर लोकसभा या विधानसभा के समय से पहले भंग किए जाने और राज्य सरकारों से परामर्श करने के बजाय राजनीतिक दलों को पत्र लिखने की उच्च स्तरीय समिति की कार्यप्रणाली जैसे मुद्दों पर आपत्ति जताई। उन्होंने लिखा, 'इन परिस्थितियों में मुझे खेद है कि मैं आपके द्वारा तैयार की गई एक राष्ट्र, एक चुनाव की अवधारणा से सहमत नहीं हो सकती।'

ममता बनर्जी का पत्र उच्च स्तरीय समिति द्वारा उन्हें भेजे गए 18 अक्टूबर 2023 के पत्र के जवाब में है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय समिति इस पर काम कर रही है। इसके सचिव डॉ. नितिन चंद्रा ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विचार के कार्यान्वयन के लिए सुझाव मांगे थे। 

ममता बनर्जी ने लिखा कि उन्हें प्रस्ताव से सहमत होने में बुनियादी वैचारिक कठिनाइयाँ हैं और पत्र से अवधारणा साफ़ नहीं है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ममता ने कहा है, 'इस संदर्भ में 'एक राष्ट्र' क्या है? हालाँकि मैं ऐतिहासिक-राजनीतिक-सांस्कृतिक अर्थ में एक राष्ट्र का अर्थ समझती हूँ, लेकिन मैं इस मामले में इस शब्द के सटीक संवैधानिक और संरचनात्मक निहितार्थ को नहीं समझती हूँ।' उन्होंने कहा-

क्या भारतीय संविधान 'एक राष्ट्र, एक सरकार' की अवधारणा का पालन करता है? मुझे संदेह है कि ऐसा नहीं है। हमारा संविधान संघीय तरीके से भारतीय राष्ट्र की कल्पना करता है।


ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल सीएम (एक देश एक चुनाव पर)

ममता ने आगे कहा, 'आप संसदीय चुनाव और राज्य विधानमंडल चुनाव को एक साथ कैसे कराना चाहेंगे? 1952 में पहला आम चुनाव केंद्रीय स्तर के साथ-साथ राज्य स्तर के लिए भी आयोजित किया गया था। कुछ वर्षों तक ऐसा ही एक साथ रहा। लेकिन तब से सहअस्तित्व टूट गया है। विभिन्न राज्यों में अब अलग-अलग चुनाव कैलेंडर हैं, और उन कैलेंडरों में संभावित राजनीतिक बदलाव के कारण परिवर्तन होने की भी संभावना है।'

उन्होंने लिखा है, 'जो राज्य आम विधानसभा चुनावों की उम्मीद नहीं कर रहे हैं, उन्हें केवल एक साथ चुनाव की शुरुआत के लिए समय से पहले आम चुनाव कराने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। यह लोगों के चुनावी विश्वास का बुनियादी उल्लंघन होगा।'

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उन्होंने आगे कहा कि किसी विधानसभा को लंबी अवधि के लिए भी नहीं बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि लोगों ने अपने प्रतिनिधियों को केवल पांच साल के लिए चुना है, उससे अधिक के लिए नहीं। उन्होंने पूछा है कि इसके अलावा, क्या होगा यदि लोकसभा असामयिक रूप से भंग हो जाए, जबकि विधानसभाओं का कार्यकाल अप्रभावित रहे? 

टीएमसी नेता ने सचिव को संबोधित करते हुए कहा है कि आपके पत्र के भाव से ऐसा लगता है कि आप संविधान में प्रस्तावित संशोधनों को महज एक औपचारिकता के रूप में देखते हैं जिसे खत्म कर दिया जाना है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकारों से परामर्श करने के बजाय आपका पत्र हमें साफ़ तौर पर एक राजनीतिक दल के रूप में सूचित करता है। 

mamata banerjee says one nation one election to subvert constitution basic structure - Satya Hindi

बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति 'एक देश, एक चुनाव' के पक्ष में राय बनाने के लिए अब तक कई बैठकें कर चुके हैं। उच्च स्तरीय समिति की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हो चुके हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता और समिति में विपक्ष की अकेली आवाज अधीर रंजन चौधरी ने इसका हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था। उन्होंने अमित शाह को पत्र लिखकर यह बताया था। उन्होंने इस प्रयास को एक धोखा क़रार दिया था। 

एक देश एक चुनाव से मतलब है कि पूरे देश में संसद से लेकर पंचायत तक एक साथ चुनाव कराया जाए। केंद्र सरकार ने 2 सितंबर को घोषणा की थी कि उसने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए जांच करने और सिफारिशें करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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