महुआ मोइत्रा ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने लोकसभा से अपने निष्कासन के फ़ैसले को चुनौती दी है। 'कैश फॉर क्वेरी' के कथित भ्रष्टाचार मामले में पिछले हफ्ते लोकसभा से उनका विवादास्पद निष्कासन हुआ है। लोकसभा की एथिक्स कमेटी की सिफारिश पर सदन ने यह कार्रवाई की। विपक्षी दल इस पूरे मामले में सवाल उठाते रहे हैं और दावा करते रहे हैं कि यह विपक्ष के प्रति बदले की कार्रवाई है। उन्होंने एथिक्स कमेटी की कार्यवाही के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए थे और सदन में भी कार्यवाही पर सवाल उठाए।
महुआ मोइत्रा इस मामले में दावा करती रही हैं कि गौतम अडानी की कंपनियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की वजह से उनके ख़िलाफ़ यह कार्रवाई की गई है। टीएमसी नेता ने लोकसभा की उस कार्रवाई को चुनौती देते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
संसदीय आचार समिति ने लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी आरोपों पर रिपोर्ट तैयार की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में संसद को महुआ को सदन से निष्कासित करने का सुझाव दिया। लोकसभा का एथिक्स पैनल महुआ मोइत्रा के ख़िलाफ़ बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कर रहा था।
निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई के पत्र का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि महुआ ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर लोकसभा में सवाल पूछने के लिए रिश्वत ली और अन्य लाभ लिया। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर दावा किया था कि महुआ ने हीरानंदानी समूह के हितों की रक्षा के लिए रिश्वत ली। निशिकांत दुबे ने आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से आग्रह किया था कि वे लोकसभा के लिए मोइत्रा के लॉग-इन क्रेडेंशियल के आईपी पते की जांच करें ताकि यह जांचा जा सके कि क्या उन तक किसी और की पहुंच थी।
महुआ ने कैश-फॉर-क्वेरी के आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने दावा किया है कि न तो उनके बदले किसी ने सवाल पूछे और न ही नकदी या गिफ्ट लिया गया। लेकिन उन्होंने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी को अपना संसदीय लॉगइन आईडी पासवर्ड देने की बात स्वीकार की है।
महुआ को जब शुक्रवार को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया तो विपक्षी दलों ने सरकार पर कई बड़े आरोप लगाए। लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने महुआ को निष्कासित करने की आचार समिति की सिफारिश को राजनीतिक प्रतिशोध बताया और दावा किया कि इसका उद्देश्य उन्हें अडानी समूह के खिलाफ मुद्दे उठाने से रोकना था।
शशि थरूर ने कहा, 'कोई उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है, जिन लोगों ने आरोप लगाए हैं उनसे जिरह करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है और साथ ही बिना गंभीरता से विचार किए एक सदस्य के निष्कासन जैसी बड़ी सजा के निष्कर्ष पर पहुँचना वास्तव में अपमानजनक है। विपक्षी गठबंधन इंडिया की सभी पार्टियाँ पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि यह न्याय का मखौल है, यह भविष्य के लिए एक बहुत ही ख़राब मिसाल कायम करेगा...।'
सदन में तीखी बहस और ध्वनि मत के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, 'यह सदन समिति के निष्कर्षों को स्वीकार करता है कि सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण अनैतिक और अशोभनीय था। इसलिए, उनका सांसद बने रहना उचित नहीं है।'
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