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प्रतीकात्मक तसवीर

महात्मा गांधी के परपोते क्यों बोले- नोट से भी बापू की तसवीर हटा दें?

आरबीआई ने जिस रूप में डिजिटल मुद्रा को जारी किया है उसपर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा है कि डिजिटल मुद्रा में महात्मा गांधी की तसवीर नहीं लगाई गई है। इस महीने की शुरुआत में आरबीआई ने चार भारतीय शहरों- मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में डिजिटल रुपये के लिए पहली पायलट परियोजना शुरू की है। 

इसी को लेकर तुषार अरुण गांधी ने ट्विटर पर नाराज़गी जताई है और तंज कसते हुए लिखा है, 'नई शुरू की गई डिजिटल मुद्रा पर बापू की छवि को शामिल नहीं करने के लिए आरबीआई और भारत सरकार को धन्यवाद। अब कृपया पेपर मनी (नोट) से भी उनकी तसवीर हटा दें।'

तुषार गांधी की यह नाराज़गी तब आई है जब भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की डिजिटल मुद्रा का रिटेल पायलट प्रोजेक्ट 1 दिसंबर 2022 को शुरू हो गया है। आरबीआई की केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा यानी सीबीडीसी को ई-रुपया या डिजिटल रुपये के रूप में भी जाना जा रहा है।

आरबीआई नोट यानी इसके भौतिक रूप से डिजिटल रुपये की ओर रुख कर रहा है। केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा भारत की नकदी पर निर्भर अर्थव्यवस्था को नया आकार दे सकती है।

क्या है ई-रुपया?

सीबीडीसी मुख्य रूप से खुदरा लेनदेन के लिए नकदी का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है। सीबीडीसी वर्तमान में चल रही करेंसी के बराबर है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि यह एक डिजिटल टोकन के रूप में है जो लीगल टेंडर का प्रतिनिधित्व करता है। यह उसी मूल्यवर्ग में जारी किया जाएगा जैसे मौजूदा समय में कागजी मुद्रा और सिक्के जारी किए जाते हैं।

जिसके पास भी सीबीडीसी होगा वह इसका मालिक होगा। टोकन आधारित सीबीडीसी में टोकन लेने वाले व्यक्ति को यह वेरीफाई करना होगा कि टोकन पर उसका हक वास्तविक है।

डिजिटल रुपया कैसे काम करेगा?

डिजिटल रुपया भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नवीनतम तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है और बैंकों को डिजिटल रूप से सुरक्षित रूप से जारी किया गया है।

ग्राहक बैंकों द्वारा दिए गए मोबाइल ऐप में डिजिटल वॉलेट के माध्यम से डिजिटल रुपये के लिए अनुरोध कर सकेंगे और वह राशि उनके डिजिटल रुपये वॉलेट में जमा हो जाएगी।

आरबीआई के अनुसार रिटेल डिजिटल रुपये का इस्तेमाल ग्राहक और व्यापारी कोई भी कर सकेंगे। रिटेल डिजिटल रुपया संभावित रूप से सभी निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों के उपयोग के लिए उपलब्ध है।

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उपयोगकर्ता पायलट कार्यक्रम में शामिल बैंकों द्वारा पेश किए गए और मोबाइल फोन या उपकरणों पर स्टोर डिजिटल वॉलेट के माध्यम से रिटेल डिजिटल रुपये के साथ लेनदेन कर सकेंगे। लेनदेन एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से और एक व्यक्ति व्यापारी से कर सकता है। व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर क्यूआर कोड का उपयोग करके व्यापारियों को भुगतान किया जा सकता है।

क्या है पायलट प्रोजेक्ट?

देशभर के चार शहरों में डिजिटल रुपये के रिटेल पायलट प्रोजेक्ट के लिए आठ बैंकों को चुना गया है। पहले चरण में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक सहित चार बैंक पायलट प्रोजेक्ट में हिस्सा ले रहे हैं। चार अन्य बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक बाद में इसमें शामिल होंगे।

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शुरुआत में यह चार शहरों- मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में शुरू होगा। बाद में इसका विस्तार अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला तक होगा।

लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कई बार कहा है कि डिजिटल पैसा भविष्य है। उन्होंने कहा है कि सीबीडीसी यूपीआई वॉलेट से अलग है। केंद्रीय बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा आरबीआई की देनदारी है जबकि यूपीआई भुगतान का एक साधन है और यूपीआई के माध्यम से कोई भी लेनदेन संबंधित बैंक की देनदारी है।

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क़मर वहीद नक़वी
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