loader
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार (बीच में) दोनों आयुक्तों के साथ

ईसीआई को क्लीन चिट नहीं, चुनाव आयोग इन सवालों का जवाब कब देगा 

भारत का चुनाव आयोग (ECI) सभी गलत वजहों से ख़बरों में बना हुआ है। उसकी आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के उल्लंघन से निपटने का तरीका विवादास्पद बन गया है। उसने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की लेकिन वो प्रेस कॉन्फ्रेंस सिर्फ उसकी पीआर यानी अपनी पीठ थपथपाने तक सीमित रही। तमाम विपक्षी दलों और जनसंगठनों की चिन्ताओं और सवालों पर उसने कुछ भी गौर नहीं किया। ईवीएम पर पहले से घिरे चुनाव आयोग ने यह कहकर विरोध करने वालों का मजाक उड़ाया कि सारे फर्जी नैरेटिव सेट किए जा रहे थे। 

अप्रैल में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद चुनाव आयोग ने जो आदेश जारी किए, उससे पता चलता है कि उसने विपक्षी दलों को उल्लंघनों के लिए अधिक नोटिस भेजे थे। आयोग ने भाजपा और उसके सहयोगियों के साथ निपटने के तरीके की तुलना में इंडिया गठबंधन को ज्यादा टारगेट किया। एक तारतम्य यह भी दिखा कि अगर किसी दिन मोदी के साम्प्रदायिक बयान की शिकायत चुनाव आयोग में की गई तो उसी दिन भाजपा की शिकायत राहुल गांधी के खिलाफ पहुंच जाती थी। 

ताजा ख़बरें
ऐसा संतुलन बनाने के लिए किया गया। क्योंकि जब-जब आयोग ने भाजपा को नोटिस दिया, तब तब कांग्रेस को भी नोटिस दिया गया। जब मोदी को नोटिस देने की बात आई तो वो नोटिस भाजपा अध्यक्ष को भेजा गया। संतुलन बनाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष को भी नोटिस भेजा गया। हैरानी तब हुई जब चुनाव आयोग ने सभी दलों के स्टार प्रचारकों से संयमित भाषण देने को कहा तो अगले ही दिन पीएम मोदी ने झारखंड और बिहार में मुजरा शब्द का इस्तेमाल किया। 
चुनाव आयोग चाहता तो 21 अप्रैल को ही मोदी की बांसवाड़ा (राजस्थान) रैली के भाषण पर संज्ञान लेता तो यहां तक नौबत नहीं आती। मुसलमानों को घुसपैठिया, ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले और हिन्दू महिलाओं के मंगलसूत्र छीनने जैसे शब्द यहीं से शुरू हुए थे। ये सारे भाषण टीवी पर लाइव प्रसारित किए गए थे और उसके आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर भी उपलब्ध थे। आयोग ने पूरे चार दिनों तक इंतजार किया। और बाद में बीजेपी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा को नोटिस भेजा।
चुनाव आयोग ने सोमवार को इस बात पर भी पीठ थपथपाई कि उसने जितनी शिकायतें आई थीं, उनका निपटारा किया। लेकिन यह सही नहीं है। चुनाव आयोग शिकायतों का निपटारा तटस्थ होकर नहीं किया। मोदी की बांसवाड़ा रैली के भाषण का संज्ञान न लेना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। 
दूसरी तरफ 16 अप्रैल को आयोग ने हरियाणा के कैथल जिले में 9 अप्रैल को एक भाषण के दौरान एमसीसी का उल्लंघन करने के लिए कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला को कारण बताओ नोटिस भेजा। जहां उन्होंने कथित तौर पर मथुरा से भाजपा उम्मीदवार हेमा मालिनी का नाम लिया था। इसी तरह का कारण बताओ नोटिस कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत को फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत पर एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए भेजा गया था। सुरजेवाला के मामले में, ईसीआई ने कड़ा रुख अपनाया। उसने उनके बयान की "निंदा" की और उनके आचरण के लिए उन्हें फटकार लगाई। इसने उन्हें 48 घंटों के लिए किसी भी सार्वजनिक बैठक, सार्वजनिक रैली या जुलूस आयोजित करने या मीडिया को इंटरव्यू और बयान देने से भी रोक दिया। लेकिन बीजेपी के स्टार प्रचारक मोदी पर ऐसी कोई रोक नहीं लगाई गई, न ही उन्हें कोई फटकार मिली।

इसी तरह आम आदमी पार्टी की नेता और दिल्ली की मंत्री आतिशी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया कि उनसे भाजपा के एक सीनियर नेता ने संपर्क लालच दिया है कि भाजपा में शामिल हो जाओ। चुनाव आयोग ने उसी दिन शाम को आतिशी को नोटिस भेज दिया।

मोदी ने जिस तरह विपक्षी नेताओं के लिए मुजरा शब्द का इस्तेमाल किया, देश को आज भी इंतजार है कि चुनाव आयोग ने उस पर क्या कदम उठाया।


कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के मामले में भी चुनाव आयोग की कलई खुल गई। जयराम रमेश ने आरोप लगाया था कि छठे चरण का मतदान खत्म होते-होते केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 150 डीएम/कलेक्टर को फोन करके नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश की। अमित शाह ने तो जयराम रमेश को इसका कोई जवाब नहीं दिया लेकिन चुनाव आयोग फौरन सामने आ गया। उसने जयराम रमेश से इसका प्रमाण मांगा। जयराम रमेश ने कहा कि वो एक हफ्ते में सबूत दे देंगे लेकिन आयोग ने कहा सोमवार शाम 5 बजे तक सबूत दीजिए, वरना आरोप लगाना बंद करिए।
मतदान प्रतिशत बताने में देरी पर भी आयोग स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाया है। आयोग ने मतदान प्रतिशत बताने में 11 दिनों का समय लिया। हालांकि जब वोटिंग ईवीएम के जरिए हो रही है और मतदान डेटा हर समय उपलब्ध रहता है तो मतदान प्रतिशत अधिकतम 48 घंटे में देश को बताया जा सकता था। इसी तरह फॉर्म 17 सी को लेकर भी आयोग ने गोलमोल जवाब दिया। जबकि यह फॉर्म मतदान के अंत में भरा जाता है। जांच प्रक्रिया के लिए स्थापित दिशानिर्देशों के अनुसार पीठासीन अधिकारी को इसे दो प्रतियों में भरना होगा और एक सत्यापित प्रति देनी होती है। लेकिन खबर है कि बड़े पैमाने पर फॉर्म 17 सी की कॉपी दी ही नहीं गई है। अब अगर फॉर्म 17 सी प्रत्याशी के पास नहीं होगा तो ईवीएम के कंट्रोल यूनिट में गड़बड़ी संभव है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तो इस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जानकारी दी थी।
देश से और खबरें
चुनाव आय़ोग ने सोमवार को बेशक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपनी पीठ थपथपा ली है लेकिन विपक्ष और देश की जनता की नजरों में भारत का चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है। अगर मोदी फिर से सत्ता में लौटते हैं और मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के रिटायरमेंट के बाद जो घटनाक्रम होगा, उस पर नजर रखिए, जो आज हो रहा है, उसका जवाब कल मिल सकता है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें