आतंकवादी संगठन हिज़बुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों के साथ पकड़े गये जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी दविंदर सिंह को गृह मंत्रालय से कोई वीरता पदक नहीं मिला है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा है कि दविंदर सिंह को गृह मंत्रालय से वीरता पदक मिलने की ख़बरें पूरी तरह ग़लत हैं। पुलिस ने कहा है कि इसी नाम के दूसरे पुलिस अधिकारी को यह पदक मिला था। दविंदर सिंह श्रीनगर एयरपोर्ट पर एंटी हाइजैकिंग यूनिट में तैनात था। उसे शनिवार को कुलगाम जिले के मीर बाज़ार इलाक़े में दो आतंकवादियों के साथ गिरफ़्तार किया गया था।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, ‘यह साफ़ करना है कि डीएसपी दविंदर सिंह को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से कोई वीरता या मेधावी पदक नहीं मिला है जैसा कि मीडिया में आई ख़बरों में दावा किया गया है। उन्हें जिला पुलिस लाइंस पुलवामा में 25/26 अगस्त, 2017 को आतंकवादियों द्वारा किये गये फिदायीन हमले का सामना करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा वीरता पदक से सम्मानित किया गया था। यह पदक उन्हें 2018 में स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर दिया गया था और उस वक्त वह पुलवामा पुलिस लाइन में डीएसपी के रूप में तैनात थे।’
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पुलिस ने कहा है कि एसआईटी दविदंर सिंह से पूछताछ कर रही है। शनिवार को बड़ी संख्या में पुलिस के जवान श्रीनगर के बडामी इलाक़े के इंदिरा नगर में स्थित दविंदर सिंह के घर पहुंचे थे और घर की तलाशी ली थी। एक स्थानीय निवासी ने कहा था कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा भी हो सकता है। सिंह के घर की दीवार सेना के 15 कार्प्स हेडक्वार्टर से मिलती है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, इस घटना के सामने आने के बाद से ही दविंदर सिंह के परिवार ने चुप्पी साध ली है। उनके एक पारिवारिक मित्र का कहना है कि वे इस घटना से हैरान हैं।
2001 में संसद पर हुए हमले के दोषी अफज़ल गुरू ने भी दविंदर सिंह का नाम लिया था। गाड़ी में आतंकवादियों के साथ मिलने पर दविंदर सिंह को निलंबित कर दिया गया था। सिंह के साथ गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों की पहचान हिज़बुल मुजाहिदीन के नावीद बाबू और रफ़ी के रूप में हुई है। नावीद बाबू को शोपियां में रियाज़ नाइकू के बाद दूसरा ख़तरनाक आतंकवादी माना जाता है। नावीद बाबू पर कई पुलिसकर्मियों और फल व्यापारियों की हत्या का आरोप है।
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