स्थानीय लोगों के अनुसार, हनुमान जयंती जुलूस, जिसके दौरान हिंसा भड़की, 16 अप्रैल शाम 5.40 बजे शुरू हुआ। लोगों ने बताया कि जुलूस के दूसरे समुदाय के धार्मिक स्थल पर पहुंचने से ठीक पहले हंगामा हो गया। यह आरोप लगाया गया है कि रैली में शामिल लोगों ने जोरदार नारे लगाए, म्यूजिक बजाया और धार्मिक स्थल पर झंडा लगाने की कोशिश की। कुछ लोगों ने कहा कि इसी वजह से यह झड़प हुई। उन्होंने कहा कि इसी तरह की हनुमान जयंती की रैलियां सुबह उसी इलाके में शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई थीं। अन्य लोगों ने घटनाओं की इस वजह का खंडन करते हुए कहा कि हनुमान जयंती रैलियों को अन्य स्थानों पर भी टारगेट किया जा रहा था।
पुलिस पर आरोप है कि उसने समुदाय विशेष के लोगों की गिरफ्तारियां कीं। उसने उसी समुदाय के पांच लोगों पर एनएसए लगा दिया। उसने जिस अंसार नामक मुख्य आरोपी को पकड़ने का दावा किया, उसके संबंध बीजेपी और आम आदमी पार्टी से पाए गए। दोनों राजनीतिक दलों में इस पर जमकर सोशल मीडिया पर वाकयुद्ध लड़ा गया। दिल्ली पुलिस ने अवैध शोभायात्रा निकालने वाले विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं को जब गिरफ्तार करने की कोशिश की तो उन्होंने आंदोलन की धमकी दी। इसके बाद पुलिस का रुख अवैध शोभायात्रा निकालने वालों को लेकर बदल गया।
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