दिल्ली सरकार के कार में अकेले यात्रा करने वालों के लिए फेस मास्क पहनना अनिवार्य करने के आदेश को “बेतुका” करार देते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सवाल किया कि उक्त आदेश अभी भी क्यों लागू है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि इसे वापस क्यों नहीं लिया जा रहा है।
जस्टिस विपिन संघ और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने सरकारी वकील से कहा, "आप इस बारे में निर्देश लें।"
अदालत की यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा के बाद आई, जो एक ऐसे मामले में सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। मेहरा ने अदालत के सामने कोर्ट के पिछले आदेश का उल्लेख किया और कहा कि उसी पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। मेहरा को अदालत ने याद दिलाया कि यह एक सरकारी आदेश था और सिंगल बेंच ने पिछले साल ही इसे बरकरार रखा था।
हाईकोर्ट ने कहा -
निजी कार में अकेले यात्रा करते समय फेस मास्क नहीं पहनने के लिए याचिकाकर्ताओं पर 500 रुपये का जुर्माना लगाने को चुनौती देने वाली अदालत के समक्ष 2020 में चार याचिकाएं दायर की गईं। नियम तोड़ने पर वही जुर्माना अब बढ़कर 2,000 रुपये हो गया है।
पिछले साल अप्रैल में पारित अपने फैसले में, जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने सरकार के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि वाहन या कार में यात्रा करने वाला व्यक्ति, भले ही वह अकेला हो, विभिन्न तरीकों से वायरस के संपर्क में आ सकता है।
उन्होंने कहा था, “कार या वाहन में प्रवेश करने से पहले व्यक्ति बाजार, या कार्यस्थल, या अस्पताल या व्यस्त सड़क जाता है। ऐसे व्यक्ति को वेंटिलेशन के लिए खिड़कियां खुली रखने की आवश्यकता हो सकती है। वाहन को ट्रैफिक सिग्नल पर रोकने की भी आवश्यकता हो सकती है और व्यक्ति खिड़की से कोई भी सामान खरीद सकता है। यदि कोई व्यक्ति अकेले कार में यात्रा कर रहा है, तो वह वायरस के संपर्क में आ सकता है।”
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