भारत ने रविवार को रॉकेट तकनीक के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई। अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपने सबसे भारी रॉकेट का इस्तेमाल करते हुए 36 सैटेलाइट्स (उपग्रह) को रविवार को लॉन्च किया। इससे कमर्शल सैटेलाइट्स को लॉन्च करने के क्षेत्र में भारत ने ग्लोबल मार्केट में अपनी जगह बना ली है।
इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने रॉकेट LVM3 पर ले जाए गए इन सैटेलाइट्स को छोड़ने के लिए लंदन स्थित संचार फर्म वनवेब का इस्तेमाल किया, जिसमें भारती एंटरप्राइजेज एक प्रमुख निवेशक है।
इससे पहले कम लागत वाले सैटेलाइट इसरो ने जून 2017 में छोड़े थे। उस समय 31 छोटे सैटेलाइट को लॉन्च किया गया था। उनमें से कई सैटेलाइट यूरोपीय देशों के थे।
रॉकेट LVM3 के लिए, यह पहला कमर्शल सैटेलाइट प्रक्षेपण है। लंदन की वनवेब फर्म और भारत सरकार की कंपनी न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के बीच एमओयू होने के बाद यह सब संभव हो सका। एनएसआईएल के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि अगले साल एलवीएम3 के जरिए 36 वनवेब उपग्रहों का एक और सेट लॉन्च किया जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का सबसे नया और सबसे भारी रॉकेट चार टन वर्ग के उपग्रह को ले जा सकता है, जो एक बड़े फ्लैटबेड ट्रक के वजन के बराबर है। 2014 में, भारत ने $74 मिलियन की लागत से मंगल ग्रह पर एक ऑर्बिटर भेजा था। 31 छोटे सैटेलाइट के प्रक्षेपण से पहले, जून 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था- हम हॉलीवुड फिल्म से कम बजट में मंगल ग्रह पर पहुंचे।
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