लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग के बीच ही शुक्रवार को इसलाम का पवित्रतम महीना रमज़ान शुरू हुआ। इस मौक़े पर मशहूर इसलामी विद्वान मौलाना वहीदउद्दीन ने मुसलमानों से कहा है कि वे घर पर ही इबादत करें और इसके लिए मसजिद न जाएँ।
मौलाना वहीदउद्दीन देश के सबसे बड़े इसलामी विद्वानों में एक हैं और उनकी बहुत ही इज्ज़त है। उन्होंने सेंटर ऑफ़ पीस एंड स्पिरिचुअलिटी इंटरनेशनल की स्थापना की थी।
उन्होंने कहा,
“
'इस रमज़ान मुसलमान तवारीह ज़रूर पढ़ें, पर अपने घर पर, वे मसजिद न जाएँ और घर के बाहर किसी तरह का सम्मेलन न करें। पैंगबर ने भी ऐसा ही किया होता।'
मौलाना वहीदउद्दीन, इसलामी विद्वान
सऊदी अरब ने पहले ही मक्क़ा और मदीना के पवित्र तीर्थस्थलों को बंद कर रखा है। सरकार ने कहा है कि मक्क़ा की मसजिद में तवारीह तो होगी, पर वहाँ किसी को आने नहीं दिया जाएगा।
इसके साथ ही इफ़्तार यानी रोज़ा के बाद होने वाले सामूहिक नाश्ते का आयोजन नहीं करने को कहा गया है, यानी लोग अपने-अपने घर में इफ़्तार करें, इफ़्तार पार्टी न रखें।
क्या है तवारीह?
रमज़ान के महीने में ईशा यानी रात की नमाज के बाद क़ुरान पढ़ी जाती है। यह थोड़ी-थोड़ी कर रोज़ाना पढ़ी जाती है और रमज़ान ख़त्म होने के पहले क़ुरान पूरी हो जाती है। इसे ही तवारीह कहते हैं। यह सुन्ना है, यानी वैकल्पिक है, इसे करना मुसलमानों के लिए आवश्यक नहीं है। पर रमज़ान के महीने में इसे पढ़ा जाता है।यह अकले में पढ़ी जा सकती है या सामूहिक रूप से। अमूमन यह होता है कि लोग रमज़ान के महीने में रात में मसजिद में बैठ कर सामूहिक रूप से तवारीह पढ़ते हैं। लेकिन इस बार यह कहा जा रहा है कि मसजिद न आएं, घर पर बैठ कर अकेले में तवारीह पढ़ें।
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