महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के अलावा देश के कई हिस्सों में फ्रांस के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। और आने वाले दिनों में प्रदर्शन के बढ़ने की पूरी संभावना है। लेकिन इसके साथ ही सवाल यह भी उठता है कि यूरोप के एक देश में हुई घटना पर भारत में बवाल क्यों मचा हुआ है? क्या इसकी वजह मुसलमानों की आहत धार्मिक भावनाएं हैं? या अपनी वे अपनी पहचान पर ख़तरा महसूस कर रहे हैं? सवाल यह भी है कि इसका कारण भारत में बदली हुई स्थिति और मुसलमानों के ख़िलाफ़ बढ़ रहे नफ़रत के बीच अल्पसंख्यक समुदाय का अपनी मौजूदगी का अहसास कराने की कोशिश भी है?
ये तमाम सवाल गड्डमड्ड हो जाते हैं जब मुंबई के भिंडी बाज़ार और उत्तर प्रदेश के देवबंद में हज़ारों मुसलमान जु़मा की नमाज़ के बाद सड़कों पर उतर जाते हैं और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के ख़िलाफ़ नारे लगाते हैं।
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सड़कों पर मुसलमान
देवबंद में जामा मसजिद और बड़ा ज़िया-उल-हक़ इलाक़ों के बीच की सड़क नारे लगाते मुसलमानों से भर गई। ये वे लोग थे, जो ज़ुमा यानी शुक्रवार की नमाज के बाद सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करने लगे। इन लोगों ने स्थानीय प्रशासन को एक ख़त भी सौंपा। लेकिन यह चिट्ठी सीधे भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखी गई है।इसी तरह मुंबई में भी भिंडी बाज़ार और दूसरे जगहों पर प्रदर्शन हुए। गुजरात के वडोदरा में भी विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
गुजरात पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने हाथ में 'बायकॉट फ्रांसीसी उत्पाद' और 'बायकॉट मैक्रों' के नारे लिखी हुई तख़्ती ले रखी थी। इसी तरह के नारे मुंबई और देवबंद में भी लगाए गए।
किसका विरोध?
बता दें कि फ्रांसीसी राजधानी पेरिस के नजदीक एक स्कूल में धर्म पढ़ा रहे शिक्षक सैम पैटी ने पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छात्रों को दिखाया। यह वह कार्टून था, जिसके 2015 में प्रकाशित होने के बाद इसलामी कट्टरपंथियों ने कार्टून पत्रिका शार्ली एब्दो के दफ़्तर में घुस कर 11 लोगों को मार डाला था।पेरिस के पास स्कूल में पैगंबर का कार्टून दिखाए जाने के बाद चेचन मूल का एक प्रवासी युवक स्कूल गया और शिक्षक पैटी की गला रेत कर हत्या कर दी।
क्या कहा था राष्ट्रपति ने?
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इसे 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' से जोड़ते हुए इस हमले को 'इसलामी आतंकवाद' क़रार दिया था। उसके बाद से ही फ्रांसीसी उत्पाद और उसके राष्ट्रपति के बायकॉट की अपील मुसलमान-बहुल देशों में की जा रही है। ईरान, सऊदी अरब, पाकिस्तान, बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन पहले ही हो चुके हैं।फ्रांस में बवाल क्यों मचा हुआ है, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष।
भारत इस मामले में फ्रांसीसी राष्ट्रपति के साथ खड़ा है। लेकिन मुसलिम देशों ने मैक्रों की तीखी आलोचना की है। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यप अर्दोवान ने उन्हें 'मानसिक रोग का इलाज' कराने की सलाह तक दे दी। इस पर भारत ने राष्ट्रपति मैक्रों का बचाव किया है। भारत ने कहा कि 'यह तमाम अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के ख़िलाफ़ है'। इसके अलावा नई दिल्ली ने यह भी कहा कि वह 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करता है।'
पर्यवेक्षकों का कहना है कि भारत के मुसलमानों को इस पर भी गुस्सा है भारत सरकार फ्रांस के साथ क्यों खड़ी है जबकि उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
इस तरह के विरोध प्रदर्शन एक बार फिर दुनिया के कई शहरों में हुए हैं। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में प्रदर्शन हुए। इसके अलावा पाकिस्तान, इज़रायली इलाक़े पश्चिमी तट के रमल्ला, गज़ा पट्टी, सोमालिया की राजधानी मोगाडिशू और लेबनान में भी विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
भारत के बारे में पर्यवेक्षकों का मानना है कि बढ़ रहे नफ़रत के माहौल के कारण भी मुसलमान अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाहते हैं। इसलिए मुमकिन है कि आने वाले समय में यहां अधिक विरोध प्रदर्शन हों।
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