‘चीन के साथ उसकी हरक़तों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए थी, लाल आंखें करके चीन को समझाना चाहिए था, उसके बजाय हिंदुस्तान के विदेश मंत्री ने चीन में जाकर बयान दिया कि बीजिंग इतना बढ़िया शहर है कि मुझे यहां रहने का मन कर जाता है, डूब मरो-डूब मरो, मेरे देश की सरकार चलाने वालों डूब मरो, आपको शर्म आनी चाहिए।’