भारत और अमेरिका के बीच ‘टू प्लस टू’ वार्ता की तीसरी सालाना बैठक के नतीजों से साफ है कि भारत अब चीन के ख़िलाफ़ अमेरिकी खेमे में खुलकर आ गया है। हालांकि अमेरिका  दो दशक पहले से ही काफी गम्भीरता से भारत को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन भारत में इसके लिये राजनीतिक आम राय नहीं बन सकी थी। मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार वामदलों  का समर्थन नहीं मिलने से आगे नहीं बढ़ सकी थी।