आगामी 26 और 27 अक्टूबर को भारत और अमेरिका के बीच विदेश व रक्षा मंत्रियों की ‘टू प्लस टू’ की अहम वार्ता होने वाली है जो ट्रंप प्रशासन की भारत के साथ अंतिम सामरिक वार्ता होगी। अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में राष्ट्रपति ट्रंप भारत के साथ रिश्तों की बुनियाद को और मजबूत करने के लिए अपने दो आला मंत्रियों माइक पोम्पियो और मार्क टी एस्पर को भारत भेज रहे हैं।
अमेरिका से वार्ता: ट्रंप की नीतियों से भारत की मुसीबतें बढ़ीं!
- विचार
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- 26 Oct, 2020

चीन से चल रही मौजूदा सैन्य तनातनी के बीच अमेरिका के दोनों आला मंत्रियों का भारत दौरा भारत का मनोबल बढ़ाने वाला और चीन के लिए संदेश है लेकिन अन्य क्षेत्रों में आगामी ‘टू प्लस टू’ वार्ता में अमेरिका भारत की सामरिक चिंता को कितना दूर करेगा, इस पर पर्यवेक्षकों की नजर रहेगी।
यह बात भारत के लिए काफी अहम है लेकिन सवाल यह उठता है कि अमेरिका के साथ भारत की दोस्ती किन क्षेत्रों में आगे बढ़ेगी और किन क्षेत्रों में अमेरिका के साथ दोस्ती की कीमत चुकानी होगी।
पिछले चार सालों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय मंचों और समरक्षेत्रों से हाथ खींच कर उन रिक्त स्थानों को भरने का मौका चीन को दिया है जिससे भारत पर सामरिक दबाव बढ़ा ही है। भले ही ट्रंप कितना ही चीन विरोधी दिखें, उनकी पिछले चार साल की नीतियों की वजह से चीन को अफ्रीका से लेकर लातिन अमेरिका और एशिया के कई इलाकों में अपना रुतबा बढ़ाने का मौका मिला है।