डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि विधेयक "अव्यावहारिक और अलोकतांत्रिक" है और यह "क्षेत्रीय आवाजों को मिटा देगा, संघवाद को खत्म कर देगा और शासन चलाने में रुकावट बनेगा"।
कांग्रेस पार्टी तो इस विधेयक के खिलाफ शुरू से है लेकिन कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने अलग से भी प्रतिक्रिया दी है। सिद्धारमैया ने कहा: "एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक को मंजूरी देना न सिर्फ संसदीय लोकतंत्र और भारत के संघीय ढांचे पर हमला है, बल्कि राज्यों के अधिकारों पर अंकुश लगाने की एक भयावह साजिश भी है।"
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि 'एक देश, एक चुनाव न सिर्फ अव्यावहारिक है बल्कि अलोकतांत्रिक व्यवस्था भी है। उन्होंने कहा- “कभी-कभी सरकारें अपने कार्यकाल के बीच में अस्थिर हो जाती हैं, इसलिए लोग लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व के बिना रह जाएंगे। इसके लिए संवैधानिक रूप से चुनी गई सरकारों को बीच में ही भंग करना होगा, जो जनमत का अपमान होगा।”
आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, “यह फिर से उसी दिशा में एक तरह का प्रस्तावित कानून है जैसा हमने महिला आरक्षण विधेयक के मामले में देखा था। कोई खास तारीख नहीं, भविष्य का कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। यह अलोकतांत्रिक है।”
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि "मोदी सरकार का एक ही नारा है- 'एक राष्ट्र, एक अडानी'। वह सिर्फ भारत की संपत्ति बेचने के लिए एक दोस्त चाहता है और वह उसके लिए काम कर रहा है। अगर एक देश, एक चुनाव होगा तो बीच में अगर सरकार अल्पमत में आ जाये तो क्या होगा. क्या कोई मध्यावधि चुनाव नहीं होगा?”
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