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फाइल फोटो

पाकिस्तान में आतंकियों की टारगेटेड हत्याओं से भारत ने किया इंकार 

पाकिस्तान में टारगेटेड हत्याओं के पीछे अपना हाथ होने से भारत ने साफ तौर पर इंकार किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को झूठा और एंटी-इंडिया प्रोपेगेंडा कहा है। 
भारतीय विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया गुरुवार 4 अप्रैल को ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में छपी उस रिपोर्ट के बाद आयी है जिसमें दावा किया गया था कि पाकिस्तान में आतंकियों के खात्मे के लिए भारत टारगेटेड हत्याएं करवा रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए इन्हें 'झूठा, दुर्भावनापूर्ण और भारत विरोधी प्रचार' करार दिया है। वहीं भारत सरकार के अधिकारियों ने इनमें से किसी भी हत्या में शामिल होने से लगातार इनकार किया है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले ही कह चुके हैं कि किसी भी दूसरे देश में टारगेटेड हत्याएं कराना भारत सरकार की नीति नहीं है। 
ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान में लगभग 20 लोगों की हत्या के पीछे कथित तौर पर भारत सरकार का हाथ था, ये वे लोग थे जिसे भारतीय खुफिया अधिकारियों ने देश की सुरक्षा के लिए खतरा माना था। 
ये हत्याएं कथित तौर पर विदेशी धरती पर रहने वाले आतंकवादियों को खत्म करने की भारत की योजना का हिस्सा थीं। द गार्जियन का दावा है कि उसने इन 20 हत्याओं से संबंधित दस्तावेज़ देखे हैं लेकिन उन्हें स्वतंत्र रूप से सत्यापित करने में असमर्थ रहा।
सत्य हिंदी द गार्जियन की इस रिपोर्ट की पुष्टि नहीं करता है। 
द गार्जियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि, द गार्जियन से बात करने वाले भारतीय और पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के अनुसार, भारत सरकार ने विदेशी धरती पर रहने वाले आतंकवादियों को खत्म करने की एक व्यापक रणनीति के तहत पाकिस्तान में व्यक्तियों की हत्या की।
दोनों देशों के खुफिया अधिकारियों के साथ साक्षात्कार, साथ ही पाकिस्तानी जांचकर्ताओं द्वारा साझा किए गए दस्तावेज़, इस बात पर नई रोशनी डालते हैं कि कैसे भारत की खुफिया एजेंसी रॉ ने 2019 के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक साहसी दृष्टिकोण के तहत कथित तौर पर विदेशों में हत्याएं करना शुरू कर दिया। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) को सीधे तौर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है। 
ये विवरण इन आरोपों को और अधिक बल देते प्रतीत होते हैं कि नई दिल्ली ने उन लोगों को निशाना बनाने की नीति अपनाई है जिन्हें वह भारत का दुश्मन मानता है। 
द गार्जियन की रिपोर्ट कहती है कि भारत पर वाशिंगटन और ओटावा द्वारा भी सार्वजनिक रूप से कनाडा में एक सिख कार्यकर्ता सहित असंतुष्ट हस्तियों की हत्याओं में शामिल होने और एक मामले में हत्या के प्रयास का आरोप लगाया जा चुका है। 
ताजा दावे 2020 के बाद से पाकिस्तान में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा की गई लगभग 20 हत्याओं से संबंधित हैं। रिपोर्ट आरोप लगाती है कि खालिस्तान आंदोलन से जुड़े सिख अलगाववादियों को भारतीय विदेशी अभियानों के हिस्से के रूप में पाकिस्तान और पश्चिम दोनों में निशाना बनाया गया था।
पाकिस्तानी जांचकर्ताओं के अनुसार, ये मौतें ज्यादातर संयुक्त अरब अमीरात से संचालित होने वाले भारतीय खुफिया स्लीपर-सेल द्वारा की गई थीं। 
2023 में हत्याओं में वृद्धि का श्रेय इन स्लीपर-सेल की बढ़ी हुई गतिविधि को जाता है। जिन पर हत्याओं को अंजाम देने के लिए स्थानीय अपराधियों या गरीब पाकिस्तानियों को लाखों रुपये देने का आरोप है। भारतीय एजेंटों ने गोलीबारी को अंजाम देने के लिए कथित तौर पर जिहादियों को भी भर्ती किया, जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि वे "काफिरों" को मार रहे हैं।
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मोसाद और केजीबी से ली है प्रेरणा

द गार्जियन की रिपोर्ट कहती है कि दो भारतीय खुफिया अधिकारियों के अनुसार, विदेश में मौजूद इन दुश्मनों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारतीय खुफिया एजेंसी का यह बदलाव 2019 में पुलवामा हमले से शुरू हुआ था। 
उस हमले में एक आत्मघाती हमलावर ने कश्मीर में एक सैन्य काफिले को निशाना बनाया था। इस हमले में  40 जवानों की मौत हो गई थी। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। 
वहीं एक भारतीय खुफिया अधिकारी ने कहा कि पुलवामा के बाद, देश के बाहर बैठे ऐसे दुश्मनों पर हमला करने या कोई गड़बड़ी पैदा करने से पहले इन पर निशाना बनाने के लिए हमारा दृष्टिकोण बदल गया। इस तरह के ऑपरेशन करने के लिए सरकार के उच्चतम स्तर से अनुमोदन की आवश्यकता होती है। 
अपने दुश्मनों के खात्मे को लेकर इस अधिकारी ने कहा है कि भारत ने इजरायल की मोसाद और रूस की केजीबी जैसी खुफिया एजेंसियों से प्रेरणा ली है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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