भारत सरकार ने पिछले महीने क़तर की एक अदालत द्वारा आठ भारतीयों को दी गई मौत की सजा के ख़िलाफ़ अपील दायर की है। ये सभी आठ भारतीय पूर्व नौसेना कर्मी हैं। वे क़तर में एक साल से अधिक समय से हिरासत में हैं।
ये सभी 8 भारतीय एक निजी कंपनी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे। यह कंपनी क़तर की नौसेना को ट्रेनिंग और अन्य सेवाएं देती है। इन सभी को जासूसी के आरोप में पूछताछ करने के लिए इनके स्थानीय निवास से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद से इन सभी भारतीयों की जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की जा चुकी हैं।
पिछले महीने मौत की सज़ा दिए जाने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने उस फ़ैसले पर हैरानी जताई थी। अब विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, 'फैसला गोपनीय है। प्राथमिक अदालत ने निर्णय दिया जिसे हमारी कानूनी टीम के साथ साझा किया गया। सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करते हुए अपील दायर की गई है। हम कतरी अधिकारियों के संपर्क में हैं।'
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हमें 7 नवंबर को आठ भारतीयों के साथ कांसुलर पहुँच दी गई और हम परिवार के सदस्यों के संपर्क में हैं। मंत्रालय ने कहा, 'हम सभी कानूनी और कांसुलर समर्थन देना जारी रखेंगे और हम सभी से मामले की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए अटकलें नहीं लगाने का आग्रह करते हैं।'
इनकी गिरफ्तारी को कुछ दिनों तक गुप्त रखा गया था। भारतीय दूतावास को भी सितंबर के मध्य में पहली बार इनकी गिरफ्तारी के बारे में बताया गया था।
वहीं पहली बार कॉन्सुलर एक्सेस 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के करीब एक महीने बाद मिला था। इसके बाद कतर स्थित भारतीय दूतावास के एक अधिकारी को इनसे मिलने दिया गया। बाद के दिनों में इन लोगों को हर हफ्ते परिवार के सदस्यों को फोन करने की अनुमति मिली थी।
इन 8 भारतीयों में से एक कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर थे। उन्हें भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने और उनकी सेवाओं के लिए वर्ष 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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