31 अक्टूबर, 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद देश भर में कई जगहों पर दंगे भड़क उठे थे। इन दंगों में हज़ारों सिख परिवारों को अपने क़रीबियों को खोना पड़ा था। दंगों के दोषियों को सजा दिलाने और इंसाफ़ की माँग को लेकर आज भी पीड़ित दिल्ली सहित कई जगहों पर लड़ाई लड़ रहे हैं। इंदिरा गाँधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। अब इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बड़ा बयान दिया है।
मनमोहन सिंह ने कहा है कि अगर तत्कालीन गृह मंत्री नरसिम्हा राव ने पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की सलाह पर अमल किया होता तो इन दंगों को रोका जा सकता था। सिंह बुधवार को गुजराल की 100वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जब 1984 के दंगे हो रहे थे तो गुजराल जी बहुत चिंतित थे और वह गृह मंत्री नरसिम्हा राव के पास गए। उन्होंने राव को बताया कि हालात बेहद ख़राब हैं और सेना को जल्द से जल्द बुलाया जाना बेहद ज़रूरी है। अगर उस सलाह पर ध्यान दिया गया होता तो 1984 के दंगों को रोका जा सकता था।’
इस कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी मौजूद रहे। मुखर्जी ने 1998 में गुजराल के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चे की सरकार से कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के फ़ैसले पर अफसोस ज़ाहिर किया। मुखर्जी ने कहा कि इस फ़ैसले के कारण ही बीजेपी को सत्ता में आने का मौक़ा मिला। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ने संयुक्त मोर्चे की सरकार को समर्थन देना जारी रखा होता तो वह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करती। इंद्र कुमार गुजराल अप्रैल, 1997 से लेकर मार्च, 1998 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। 30 नवंबर, 2012 में 92 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, दंगों में लगभग 3,000 सिखों की मौत हुई थी और इन दंगों में सबसे ज़्यादा हिंसा दिल्ली में हुई ती। लेकिन दंगा पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले लोग बताते हैं कि देश भर में 5,000 सिखों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के नाम पर कई आयोग बन चुके हैं लेकिन अभी तक उन्हें न्याय नहीं मिल सका है।
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